Sanjay Raut Statement: शिवेसना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (शिवसेना-यूबीटी) के के नेता और राज्यसभा के सदस्य संजय राउत ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से सवाल किया कि आखिरकार पिछले सप्ताह महाराष्ट्र के जालना जिले में मराठा आरक्षण की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज का आदेश किसने दिया था. मराठा आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे एक व्यक्ति को अधिकारियों द्वारा अस्पताल में भर्ती कराए जाने से प्रदर्शनकारियों के मना करने के बाद शुक्रवार को जालना जिले के अंतरवाली सारथी गांव में हिंसा भड़क गई थी. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े थे.


संजय राउत ने पूछा ये सवाल
हिंसा में 40 पुलिसकर्मियों सहित कई व्यक्ति घायल हुए थे और राज्य परिवहन की 15 से अधिक बसों में आग लगा दी गई थी. संवाददाताओं को संबोधित करते हुए राउत ने सवाल उठाया, ‘‘शीर्ष अधिकारयों के आदेश बगैर मुख्यमंत्री और राज्य के गृह मंत्री के कार्यालय से किसने ‍फोन किया था?’’ उन्होंने कहा, ‘‘स्थानीय पुलिस कभी भी लाठी चार्ज करने या गोली चलाने जैसी कार्रवाई नहीं करेगी. हम जानना चाहते हैं कि किसने फोन पर ये अदृश्य आदेश दिए थे.’’


सीएम शिंदे और देवेंद्र फडणवीस पर निशाना
राज्यसभा सांसद ने आरोप लगाया, ‘‘मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और दो उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार जनरल डायर की मानसिकता के साथ काम कर रहे हैं. उन्होंने शांतिपूर्वक भूख हड़ताल पर बैठे मराठा प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज और गोलीबारी का आदेश दिया.’’ अप्रैल 1919 में, अमृतसर के जलियांवाला बाग में बैसाखी त्योहार के दौरान उस वक्त नरसंहार हुआ था जब कर्नल आर डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश भारतीय सेना ने स्वतंत्रता समर्थक प्रदर्शन कर रही भीड़ पर गोली चलाने के आदेश दिए. इस हत्याकांड में कई लोग मारे गए थे.


राउत ने किया ये दावा
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने रविवार को घोषणा की कि जालना जिले के पुलिस अधीक्षक तुषार दोशी को अनिवार्य अवकाश पर भेज दिया गया है और पुलिस उपाधीक्षक रैंक के दो अधिकारियों का जिले से बाहर तबादला कर दिया गया है. शिंदे ने कहा कि एडीजीपी (कानून व्यवस्था) संजय सक्सेना लाठीचार्ज की घटना की जांच करेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो न्यायिक जांच की जाएगी. राउत ने संवाददाताओं से बात करते हुए यह भी दावा किया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार के राज्य सरकार में शामिल होने के फैसले के परिणामस्वरूप उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप हटा दिए गए हैं.


उन्होंने कहा, ‘‘न केवल पवार, बल्कि प्रफुल्ल पटेल, हसन मुशरिफ जैसे उनके अन्य सहयोगियों को भी क्लीन चिट मिल जाएगी. इन सभी नेताओं के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोपों की जांच की थी.’’ अजित पवार और एनसीपी के आठ अन्य विधायक दो जुलाई को शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हुए थे.


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