Shiv Sena UBT on Nameplate Row: सुप्रीम कोर्ट ने आज यूपी और उत्तराखंड सरकार के कांवड़ यात्रा मार्ग पर आने वाली दुकानों, रेस्टोरेंट पर मालिकों के नाम लिखने वाले निर्देश पर अंतरिम रोक लगा दी है. वहीं इसको लेकर विपक्ष के तमाम नेता सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत कर रहे हैं. साथ ही बीजेपी को भी निशाने पर ले रहे हैं. इस बीच सर्वोच्च न्यायलय के इस फैसले पर उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना यूबीटी की भी प्रतिक्रिया सामने आई है.  


उद्धव ठाकरे की पार्टी के सांसद अरविंद सावंत ने कहा, "मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं. तहेदिल से अभिनंदन भी करता हूं. देश के संविधान को सुरक्षित रखने का काम देश की अदालत का है. देश की सत्तापक्ष की पार्टी बीजेपी को शर्म भी नहीं आती है, क्या जरूरत है दुकानों पर नाम लिखने की क्या जरूरत है, क्या बताना चाहते है, कि किस धर्म का किस जात का है और धर्म देखने के बाद खरीदेंगे नहीं."


 






अरविंद सावंत ने आगे कहा, "क्या ये संविधान से खिलवाड़ नहीं है. इसकी जितनी आलोचना की जाए कम है. तब ही तो हम कहते हैं कि संविधान पर हमले हो रहे हैं, लेकिन सर्वोच्च अदालत का फैसला स्वागत योग्य है."


दरअसल, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी किया और उनसे निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब देने को कहा. पीठ ने मामले पर आगे की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी.


सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, "हम उपरोक्त निर्देशों के प्रवर्तन पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश पारित करना उचित समझते हैं. दूसरे शब्दों में, खाद्य विक्रेताओं को यह प्रदर्शित करने के लिए कहा जा सकता है कि उसके पास कौन से खाद्य पदार्थ हैं लेकिन उन्हें मालिकों, स्टाफ कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए. 


वहीं इस मामले में राज्य सरकार की ओर से अदालत में कोई पेश नहीं हुआ. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों के निर्देश को चुनौती देने वाली गैर सरकारी संगठन 'एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स', सांसद एवं तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया.


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