Who is Ravindra Dhangekar: कसबा उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं. कस्बे में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत हुई है. बीजेपी के पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस के रवींद्र धंगेकर ने जीत दर्ज की है. इस सीट से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है क्योंकि उनके उम्मीदवार इस सीट से हार गए हैं. इस साल कसबा में बीजेपी और MVA के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली. पहले दौर से कांग्रेस के रवींद्र धंगेकर आगे चल रहे थे. कसबा सीट से कांग्रेस के रवींद्र धंगेकर ने बीजेपी के 28 साल पुराने किले को फतह कर लिया है.


क्या बोले रवींद्र धंगेकर?
उन्होंने कहा, जिस दिन भाजपा को मेरे खिलाफ प्रचार करने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र के अलावा 40 स्टार प्रचारकों की फौज, फडणवीस को चुनाव प्रचार के लिए नीचे आना पड़ा तो उसी समय मैंने चुनाव जीत लिया था. यह लोगों की जीत है. 


कौन हैं रवींद्र धंगेकर?
रवींद्र धंगेकर महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के उम्मीदवार हैं जो कांग्रेस के गठबंधन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और शिवसेना के गठबंधन के साथ हैं. रवींद्र धंगेकर ने बीजेपी के हेमंत रासेन के खिलाफ चुनाव लड़ा था. रवींद्र धंगेकर में कसबा सीट से बीजेपी उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दी. बता दें कसबा विधानसभा क्षेत्र लंबे समय से बीजेपी का गढ़ रहा है. रवींद्र धंगेकर पांच बार के कॉरपोरेटर हैं और उन्होंने पुणे नगर निगम (पीएमसी) में दो बार शिवसेना और एमएनएस का प्रतिनिधित्व किया है.


वह 2017 में कांग्रेस में चले गए और कांग्रेस समर्थित स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुने गए. एमएनएस में रहते हुए, रवींद्र धंगेकर एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे के एक विश्वासपात्र थे और उन्हें पीएमसी में पार्टी का नेता भी बनाया गया था. 


आम जनता के नेता
रवींद्र धंगेकर पिछले 25 वर्षों से कसबा में नगरसेवक हैं. इसलिए लोगों ने हमेशा उनका साथ दिया है. साथ ही वह आम लोगों के नेता हैं. वे रात-रात भर नागरिकों के काम पर जाने के लिए जाने जाते हैं. इसलिए, वह लोगों के प्रिय नेता हैं. अपने काम के चलते वोटों की गिनती शुरू होने के बाद से ही वह आगे चल रहे थे. 


बीजेपी के गढ़ में जीत
कसबा पेठ में जहां बीजेपी का दबदबा है, वहीं सदाशिव पेठ, नारायण पेठ और शनिवार पेठ में लोगों ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है. इसलिए धंगेकर को इस क्षेत्र में भी अधिक वोट मिले हैं. इन सभी क्षेत्रों में हेमंत रसाने ने हमेशा काम किया है. वहां के वोटर उनका समर्थन करते हैं. लेकिन लगता है कि उसी इलाके में लोगों ने बीजेपी को सपोर्ट नहीं किया. इसलिए रविंद्र धंगेकर ने बीजेपी के गढ़ में अपना परचम लहरा दिया है.


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