Kasba Peth By-Election Results: महाराष्ट्र के पुणे जिले में अपने गढ़ कस्बा पेठ (Kasba Peth) विधानसभा सीट को बरकरार रखने में बीजेपी (BJP) विफल रही. इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार रवींद्र धंगेकर (Ravindra Dhangekar) ने उपचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार हेमंत रसाने (Hemant Rasane) को हरा दिया. इससे कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) में खुशी की लहर है.


28 साल से था बीजेपी का कब्जा
जानकारी हो कि कस्बा पेठ विधानसभा सीट पर बीजेपी 28 साल से काबिज थी. पुणे से वर्तमान बीजेपी सांसद गिरीश बापट ने 2019 तक पांच बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. इस बार, एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) वाले महा विकास अघाड़ी के समर्थन वाले रवींद्र धंगेकर ने इस सीट को जीतने में कामयाबी हासिल की. मतगणना के अंतिम दौर के बाद चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार धंगेकर को 73,194 वोट मिले, जबकि रसाने को 62,244 वोट मिले.


विधायक की कैंसर से हो गई थी मौत
साल 2019 में बीजेपी के मुक्ता तिलक ने यह सीट जीती थी. दिसंबर 2022 में कैंसर से जूझने के बाद उनकी मृत्यु हो गई, इसके बाद से यह सीट खाली थी. यहां पर कांग्रेस की जीत महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले साल जून में राज्य में सरकार बदलने के बाद सत्तारूढ़ बीजेपी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और विरोधी एमवीए के बीच यह पहली सीधी टक्कर थी. चुनाव का परिणाम आते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ उठी. 


बीजेपी उम्मीदवार कहा-करेंगे आत्ममंथन
बीजेपी के उम्मीदवार हेमंत रसाने ने अपनी हार का स्वीकार करते हुए कहा कि एक उम्मीदवार के तौर पर वह इस चुनाव में विफल रहे. अब वह आत्ममंथन करेंगे कि क्या गलत हुआ और कहां हुआ. उन्होंने कहा कि पहले यह त्रिकोणीय मुकाबला हुआ करता था, लेकिन इस बार यह बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था. 


कांग्रेस ने मतदाताओं को दी बधाई
कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष मोहन जोशी ने पार्टी और एमवीए को इस तरह की ऐतिहासिक जीत के लिए कस्बा पेठ के मतदाताओं को बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह उन सभी एमवीए कार्यकर्ताओं की जीत है, जिन्होंने इस चुनाव को बड़ी एकता के साथ लड़ा. इस चुनाव ने दिखाया है कि धन बल काम नहीं कर सकता है. चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस और अन्य एमवीए घटकों ने बीजेपी पर पैसे की मदद से मतदाताओं को लुभाने का आरोप लगाया था. हालांकि, बीजेपी ने इस आरोप को नकार दिया था. 


बीजेपी ने किया था जोरदार प्रचार
पुणे में कस्बा और चिंचवाड़ सीटों के उपचुनाव में एमवीए के साथ-साथ राज्य में सत्तारूढ़ शिंदे-बीजेपी गठबंधन के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा थी. एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस जैसे बड़े नेताओं ने यहां अपने उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार अभियान चलाया. 


एमएलसी चुनाव में भी अपने गढ़ में हारी थी बीजेपी


इससे पहले फरवरी में नागपुर मंडल शिक्षक सीट पर बीजेपी समर्थित उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा था.  कांग्रेस प्रत्याशी को 55 फीसदी वोट मिले थे. बीजेपी समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी नागोराव गनार इस सीट से एमएलसी थे जिन्हें एमवीए समर्थित उम्मीदवार सुधाकर अडबाले ने हराया था. नागपुर को भी बीजेपी का गढ़ माना जाता था.


जीत के क्या हैं मायने?


नागपुर और अब कसबा पेठ में मिली जीत से कांग्रेस गठबंधन यानी महा विकास अघाड़ी के कार्यकर्ताओं का मनोबल निश्चित तौर पर बढ़ेगा. जानकारों की मानें तो बीजेपी को उसके गढ़ में हराकर कांग्रेस गठबंधन ने सियासी संदेश भी दिया है. अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं. फिलहाल राज्य में बीजेपी गठबंधन की सरकार है और वहां पर कांग्रेस की जीत राजनीतिक रूप से अहम है.


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