Maharashtra: महाराष्ट्र में BRS पार्टी को चौतरफा घेरने की तैयारी में MVA, अब नाना पटोले ने दिया बड़ा बयान
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में तेलंगाना के सीएम की एंट्री होते ही राज्य में राजनीति का पारा बढ़ने लगा है. MVA के नेताओं और सीएम केसीआर की तरफ से बयानबाजी देखने को मिल रही है.
KCR in Maharashtra: तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने राज्य में अपनी पार्टी, भारत राष्ट्र समिति के लिए आधार बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना का मसौदा तैयार किया है, एमपीसीसी अध्यक्ष नाना पटोले ने सोमवार को बीआरएस को "बीजेपी की बी टीम" बताया और कहा कि इसका महाराष्ट्र की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
क्या बोले नाना पटोले?
नाना पटोले ने कहा, “चंद्रशेखर राव महाराष्ट्र में सफल नहीं होंगे, राज्य के लोग जानते हैं कि यह (बीआरएस) बीजेपी की बी टीम है. राज्य में तेलंगाना पैटर्न नहीं चलेगा. पंढरपुर दौरा भक्ति का विषय है, केसीआर को राजनीतिक लाभ नहीं लेना चाहिए.”
केसीआर का महाराष्ट्र दौरा
केसीआर मंदिरों के शहर पंढरपुर के दो दिवसीय दौरे पर हैं. वह अपने सभी 16 कैबिनेट मंत्रियों, 103 विधायकों, 7 सांसदों और विधान परिषद के 30 से अधिक सदस्यों के साथ 300 से अधिक एसयूवी के काफिले के साथ सोमवार को सोलापुर पहुंचे. केसीआर ने मंगलवार सुबह पंढरपुर में भगवान विट्ठल के दर्शन किए .
नागपुर में खोल चुके हैं ऑफिस
केसीआर ने पहले ही अपनी पार्टी का कार्यालय नागपुर में स्थापित कर लिया है, जो उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और केंद्रीय सड़क मंत्री नितिन गडकरी का गृहनगर है. एनसीपी नेता भागीरथ भालके, जो हाल ही में उपचुनाव में हार गए थे, केसीआर की उपस्थिति में बीआरएस में शामिल होने की संभावना है. बीआरएस के महाराष्ट्र में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने की उम्मीद है.
पटोले का निशाना
पटोले ने कहा कि बीआरएस पहले से ही संकट में है क्योंकि इसके कई वरिष्ठ नेता हाल ही में नई दिल्ली में कांग्रेस छोड़कर शामिल हो गए हैं. “तेलंगाना पैटर्न गुजरात की तरह ही भ्रामक है. हमारे पास बीआरएस में मामलों की स्थिति पर व्यापक जानकारी है, और हम उचित समय पर इसे उजागर करेंगे. नरेंद्र मोदी की तरह केसीआर का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा है. पटोले ने आरोप लगाया, तेलंगाना में प्याज बेचने वाले हमारे किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
इस बीच पटोले ने दावा किया, पटोले ने यह भी कहा कि बीजेपी को आपातकाल पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्हें पहले उन परिस्थितियों का अध्ययन करना चाहिए जिनके तहत इंदिरा गांधी ने इसे लगाया था. “यह सच है कि 1975 में आपातकाल लगाया गया था और 18 महीने बाद इसे हटा लिया गया था. अगर इंदिरा गांधी ने आपातकाल नहीं लगाया होता तो देश में लोकतंत्र नहीं होता. बीजेपी ने पिछले नौ वर्षों से अघोषित आपातकाल पर चुप्पी साध रखी है.
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