Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संकट के बीच अभी परिस्थितियां पूरी तरह से साफ नहीं हुई हैं. हालांकि विधायकों के साथ-साथ अब सांसद भी एकनाथ शिंदे के समर्थन में आते दिखाई दे रहे हैं. सूत्रों में मुताबिक 17 सांसद एकनाथ शिंदे के सम्पर्क में हैं. थाने के सांसद राजन विचारे और कल्याण के सांसद श्रिकांत शिंदे गुवाहाटी में मौजूद हैं. वसीम सांसद भावना गवली, पलघर सांसद राजेंद्र गवित, रामटेक सांसद क्रुपाल तुमने ने भी अपना समर्थन दिखाया है. अब तक एकनाथ शिंदे के खेमे में कुल 48 विधायकों के पहुंचने का दावा उनके समर्थकों की तरफ से किया जा रहा है, जिसमें 7 आज सुबह पहुंचे ऐसा बताया जा रहा है. शिंदे के साथ होटेल में अब शिवसेना के 41 और 4 निर्दलीय विधायकों को मिलाकर कुल 45 विधायक हैं


कल 3 और विधायक असम के लिए हुए रवाना
खबर है कि कल रात 3 और विधायक शिंदे खेमे में शामिल हुए हैं. कल रहा जो तीन विधायक शिंदे खेमे में शामिल होने के  लिए गुवाहाटी के लिए निकले उनमें माहिम विधानसभा के शिवसेना विधायक सदा सर्वनकर, क़ुर्ला के विधायक मंगेश कुंडालकर और वेंगूरलेकर शामिल हैं.


क्या दल बदल कानून से बच पाएंगे शिंदे
शिंदे के साथ कितने विधायक हैं और उद्धव ठाकरे के समर्थन में कितने विधायक हैं इसको लेकर अलग-अलग संख्या सामने आ रही है. अभी यह पूरी तरह साफ नहीं हो पाया है कि किसके साथ कितने विधायक खड़े हुए हैं. शिंदे समर्थकों का कहना है कि उनके पास शिवसेनना के 37 से ज्यादा विधायक हो गए हैं. जबकि शिवसेना का दावा है कि शिवसेना के पास 20 विधायक हैं.शिवसेना के मुताबिक अब तक शिंदे गुट के पास सेना के 33 विधायक ही पहुंचे हैं. यदि ऐसा है तो शिंदे गुड के विधायकों पर दल बदल कानून लागू हो जाएगा और उनकी विधायकी चली जाएगी, लेकिन यदि शिंदे गुट कम से कम चौंतीस यानी 2/3 विधायकों को पार्टी से तोड़ने में कामयाब रहा तो उस पर नियम के मुताबिक दल बदल का कानून लागू नहीं होगा.


संकेतों से साफ कि उद्धव की कुर्सी जाना तय
एक तरफ कयास लगाये जा रहे हैं कि शिंद के खेमे में अभी 34 विधायक शामिल नहीं हुए हैं, यही वजह है कि शिंदे अभी खुलकर मुकाबले के लिए सामने नहीं आ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ जिस तरह से उद्धव ठाकरे कल फेसबुक के माध्यम से जनता से मुखातिब हुए, उसके बाद उनका सरकारी आवास छोड़ना, इसके अलावा उनके बेटे आदित्य ठाकरे का अपने ट्विटर हैंडल से अपने नाम के आगे से मिनिस्टर हटाना, इन तमाम बातों से यही साबित हो रहा है कि उद्धव ठाकरे को अब पक्का यकीन हो चला है कि परिस्थितियां एकदम उनके विपरीत हो चुकी हैं और अब उनकी कुर्सी जाना तय है. हालांकि ये सब कयास हैं, हकीकत क्या है यह सब बहुत जल्द ही साफ हो जाएगा.


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