Kolhapur Violence Case Update: महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) को बताया कि इस महीने विशालगढ़ किले (Vishalgad Fort) में किसी भी आवासीय परिसर को ध्वस्त नहीं किया गया है. यहां अतिक्रमण हटाने को लेकर हुई कार्रवाई ने हिंसक रूप धारण कर लिया  था. वहीं, कोल्हापुर (Kolhapur) पुलिस ने दावा किया कि  भारी बारिश (Heavy Rain) और कम दृश्यता के कारण हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना मुश्किल था.


पुलिस ने कहा कि पूर्व सांसद छत्रपति संभाजीराजे, एक्टिविस्ट रवींद्र पडवाल और बंदा सालुंखे सहित 100 से अधिक लोगों के खिलाफ पांच एफआईआर दर्ज की गई है. पुलिस ने यह बात जस्टिस बी पी कोलाबावाला और जस्टिस फिरदोश पूनावाला की पीठ को सौंपे गए हलफनामे में कहा है. पीठ स्थानीय निवासियों के आवदेन पर सुनवाई कर रहा है. इनका आरोप है कि निषेधाज्ञा के आदेशों के बावजूद किले में कई आवासीय परिसरों को ध्वस्त कर दिया गया. पुलिस की ओर से दोषियों पर कार्रवाई ना करने के भी आरोप लगाए गए हैं.


हलफनामे में पुलिस ने क्या कहा?


उधर, याचिकाकर्ताओं के वकील एसबी तालेकर ने दावा किया कि कुछ घरों को ध्वस्त कर दिया गया है. पीठ ने तालेकर को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. पिछले सप्ताह पीठ ने पुलिस से ब्योरा मांगा था कि उसने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है. हलफनामे में पुलिस ने कहा कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है और आगे की जांच जारी है.


सरकारी हलफनामे में दावा किया गया कि पुलिस ने अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए थे. इसमें कहा गया है कि भीड़ को किले की ओर जाने करने से रोकने के लिए अलग-अलग स्थानों पर चौकियां स्थापित की गई थीं. पुलिस ने ऐसे मार्च की अनुमति देने से भी इनकार कर दिया था, लेकिन उसके पास जानकारी थी कि लोग फिर भी किले की ओर चलने की योजना बना रहे हैं. पुलिस का कहना है कि 14 जुलाई को भारी बारिश हुई और कोहरा जैसी हालत थी. इस वजह से कार्रवाई करना मुश्किल था.


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