Janmashtami 2023: महाराष्ट्र में 'दही हांडी' उत्सव के बीच सरकारी अस्पतालों में कैसी है व्यवस्था, ‘गोविंदा’ को मिलेगी ये सुविधा
Krishna Janmashtami 2023: महाराष्ट्र में जन्माष्टमी के अवसर पर दही हांडी उत्सव का आयोजन किया जाता है. इस बीच आप जान लें कि सरकारी अस्पतालों में इसे लेकर क्या इंतेजाम किए गए हैं?
Happy Janmashtami 2023: जन्माष्टमी के अवसर पर आयोजित होने वाले दही हांडी उत्सव के दौरान ‘गोविंदा’ के घायल होने की आशंका को देखते हुए बृहन्मुंबई महानगरपालिक (बीएमसी) ने एहतियातन बीएमसी के अस्पतालों में 125 बिस्तरों को पहले से तैयार रखा है. उत्सव के दौरान एक सामूहिक गतिविधि के तहत मानव पिरामिड बनाया जाता है और हवा में लटकी ‘दही हांडी’ (दही से भरे मिट्टी के बर्तन) को फोड़ा जाता है. इसमें शामिल सभी लोगों को ‘गोविंदा’ कहा जाता है.
कब मनाया जाएगा दही हांडी उत्सव?
मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में बृहस्पतिवार को दही हांडी उत्सव मनाया जाएगा. यह कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव का हिस्सा होता है, जो भगवान कृष्ण जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. त्योहार के दौरान ‘गोविंदा’ हवा में लटकी ‘दही हांडी’ को तोड़ने के लिए एक मानव पिरामिड बनाते हैं. बीएमसी ने बुधवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि 125 बिस्तरों में से 10 सायन अस्पताल में, सात केईएम (किंग एडवर्ड मेमोरियल) अस्पताल में, चार नायर अस्पताल में और शेष शहर और उपनगरों के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में तैयार किए गए हैं.
बीएमसी के अनुसार, इन अस्पतालों में घायल गोविंदाओं के इलाज के लिए तीन शिफ्ट में स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मचारियों को तैनात किया गया है, जिन्हें इंजेक्शन, दवाएं और सर्जरी सामग्री तैयार रखने का निर्देश दिया गया है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि मामूली रूप से चोटिल गोविंदाओं को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी जाएगी, जबकि जिन्हें लंबे समय तक इलाज की जरूरत होगी उनके लिए भी व्यवस्था की गई है.
क्यों मनाया जाता है दही हांडी का उत्सव?
भगवान श्री कृष्ण कि बाल लीला की कथाओं में माखन चुराकर खाने की कथा भी बहुत प्रचलित है. भगवान श्री कृष्ण अपने बाल सखाओं के साथ आस-पडोस के घरों में जाकर दही और माखन चोरी करके खाते थे. चोरी होने के डर से सभी गोपियों ने दही और माखन की हांडी को घरों कि छत पर लटकाना शुरू कर दिया. लेकिन श्री कृष्ण और उनके सभी सखा मानक श्रृंखला बनाकर हाडीं तक पहुंच जाते थे और चाव से माखन खाते थे. सबसे उपर श्री कृष्ण रहते थे. तब से श्री कृष्ण कि इस लीला को दही हांडी उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा.