महाराष्ट्र में सोमवार यानी आज विधान परिषद की 10 सीटों के लिए चुनाव होना है. इन चुनावों की  10 दिन पहले संपन्न हुए राज्यसभा चुनावों की तरह ही दिलचस्प होने की संभावना है. वैसे तो चुनावों में अन्य दलों शिवसेना और एनसीपी ने भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस के दूसरे और बीजेपी के पांच प्रत्याशियों में है. चुनाव इसलिए भी दिलचस्प होगा क्योंकि इसमें वोटिंग गुप्त होगी, जिसमें यह पता लगाना मुश्किल होगा कि किसने किसे वोट  दिया. गुप्त मतदान के कारण एनसीपी और शिवसेना में भी खलबली मची हुई है.


बता दें कि विधान परिषद की 10 सीटों के लिए 11 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिसमें एमवीए के तीनों दलों शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने अपने दो-दो और बीजेपी ने अपने पांच प्रत्याशी खड़े किये हैं. प्रत्येक उम्मीदवार को जीत के लिए कम से कम 26 वोटों की जरूरत होगी.


शिवसेना-एनसीपी क्यों चिंतित
दरअसल मामला ये है कि एनसीपी और शिवसेना तो अपने दोनों प्रत्याशियों को जितवाने में सक्षम हैं, लेकिन कांग्रेस के दूसरे प्रत्याशी यानी मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष अशोक (भाई) जगताप को जीत के लिए 12 और बीजेपी के पांचवें प्रत्याशी प्रसाद लाड को 22 अतिरिक्त वोटों की जरूरत होगी. स्थिति को देखते हुए कांग्रेस का पलड़ा भारी लग रहा है लेकिन राज्यसभा चुनाव के नतीजों ने न सिर्फ कांग्रेस बल्कि सहयोगी शिवसेना और एनसीपी को भी चिंता में डाल दिया है.


गुप्त मतदान में हो सकती है उलटफेर


बता दें कि 10 जून को हुए राज्यसभा चुनाव में बीजेपी अपने तीसरे उम्मीदवार को जितवाने में कामयाब रही थी, जबकि शिवसेना के दूसरे उम्मीदवार को हार नसीब हुई. ऐसा तब हुआ जब राज्यसभा चुनाव में मतपत्र अपने पार्टी एजेंट को दिखाकर ही मतपेटी में डाला जाता है. इसके बाद भी बीजेपी निर्दलीय उम्मीदवारों के सहयोग से अपना प्रत्याशी जिता ले गई. वहीं, विधान परिषद का चुनाव गुप्त होना है, जिसमें पता ही नहीं चलेगा कि कौन किसे जिता रहा है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश अकोलकर का कहना है कि कागजी आंकड़ों में भले ही कोई भी शेर दिख रहा हो, लेकिन चूंकि मतदान गुप्त होना है इसलिए देवेंद्र फडणवीस अपने किसी भी विरोधी पर भारी पड़ सकते हैं.


कांग्रेस को सता रहा यह डर
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को मिली हार के बाद बीजेपी छोड़कर एनसीपी में आए वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे  ने कहा था कि अब तो छाछ भी फूंक-फूंककर पीनी पड़ेगी. चूंकि खडसे फडणवीस से नाराज होकर एनसीपी में आए हैं, इसलिए वह विधान परिषद चुनाव में फडणवीस के गुस्से का शिकार हो सकते हैं. वहीं प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले पहले से ही यह कहते घूम रहे हैं कि बीजेपी एमवीए के विधायकों को पर केंद्रीय एजेंसियों का दबाव डलवा रही है, यानी उन्हें पहले से ही अपनी हार की आशंका सता रही है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी प्रत्याशी लाड की कागज पर स्थिति कमजोर होने के बाद भी कोई उनकी हार की संभावना पर बात नहीं करता दिख रहा है.


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