Maharashtra News: महाराष्ट्र वन विभाग, एक महीने में, गुजरात से एक नर और मादा शेर को संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (एसजीएनपी) में स्थानांतरित करने के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) से अनुमोदन प्राप्त करेगा, अगर सब कुछ योजना के अनुसार होता है. वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने इस कदम पर चर्चा करने के लिए दिल्ली में सीजेडए अधिकारियों के साथ एक तकनीकी समिति की बैठक बुलाने को कहा है. गुजरात राज्य ने पहले ही स्थानांतरण को अपनी मंजूरी दे दी है.
सांसद गोपाल शेट्टी मुद्दे में निभा रहे भूमिका
क्लेमेंट बेन, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (APCCF), वन्यजीव, वेस्ट, ने कहा कि, “हमने तकनीकी समिति की बैठक आयोजित करने के बारे में CZA को अवगत कराया है. सांसद गोपाल शेट्टी इस मामले को भारत सरकार के साथ उठा रहे हैं और हमें उम्मीद है कि एक महीने में अनुमति मिल जाएगी. बकौल मिड-डे तत्कालीन पर्यावरण मंत्री, आदित्य ठाकरे के निर्देशों के बाद, वन विभाग के अधिकारियों ने अप्रैल में गांधीनगर का दौरा किया, जिसके बाद गुजरात सरकार ने शेरों की एक जोड़ी देने पर सहमति व्यक्त की, जो राष्ट्रीय उद्यान से दो बंगाल टाइगर के बदले इसे देगी.
अधिकारी शेर लाने के लिए 4 साल से कर रहे हैं प्रयास
क्लेमेंट और एसजीएनपी फील्ड निदेशक और वन संरक्षक जी मल्लिकार्जुन उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे जो गांधीनगर गया था और वहां अन्य अधिकारियों के साथ वन बल के प्रमुख से मुलाकात की थी. हाल ही में, क्लेमेंट और मल्लिकार्जुन ने सीजेडए के सदस्य सचिव का भी दौरा किया और एक सप्ताह के समय में एक औपचारिक प्रस्ताव प्राधिकरण को भेजा जाएगा. एसजीएनपी के अधिकारी पिछले चार साल से गुजरात से प्रजनन योग्य शेरों को लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में फिहहाल हैं दो शेर
सितंबर 2020 में, एसजीएनपी ने हैदराबाद के नेहरू जूलॉजिकल पार्क से दो जोड़ी शेर प्राप्त करने के लिए तेलंगाना वन विभाग से भी संपर्क किया. हालांकि, यह मामला आगे नहीं बढ़ पाया क्योंकि तेलंगाना वन विभाग शेरों के बदले शेर चाहता था. एसजीएनपी की टाइगर एंड लायन सफारी, जो 12 हेक्टेयर में फैली हुई है, 1990 के दशक में शुरू की गई थी और लोकप्रिय होने के कारण यह एक महत्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण रही है. लेकिन जानवरों के या तो बुढ़ापे या बीमारियों से मरने के साथ, अधिकारी चिंतित हैं. वर्तमान में, एसजीएनपी में केवल दो शेर हैं, 19 वर्षीय रवींद्र और उनकी 12 वर्षीय उसकी बहन जेस्पा. शेरों को प्राप्त करने के पीछे मुख्य लक्ष्य कैप्टिव ब्रीडिंग के माध्यम से जनसंख्या में वृद्धि करना है.