Maharashtra News: महाराष्ट्र में पिछले एक महीने में ‘लंपी’ रोग से कम से कम 22 मवेशियों की मौत हुई है. राज्य के पशुपालन विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली में भी इसके मामले सामने आ चुके हैं. अधिकारी ने सोमवार को बताया कि महाराष्ट्र के जलगांव, अहमदनगर, अकोला, धुले, पुणे, लातूर, औरंगाबाद, बीड, सतारा, बुलढाणा, अमरावती, उस्मानाबाद और कोल्हापुर जिलों के 133 गांवों में यह बीमारी फैल चुकी है.


ये है संक्रामक रोग


यह एक संक्रामक रोग है, जिसकी चपेट में आने वाले मवेशियों की त्वचा पर गांठें हो जाती हैं. रोग के लक्षणों में बुखार, दूध कम बनना, त्वचा पर गांठ, नाक तथा आंखों से पानी निकलना आदि शामिल हैं. अधिकारी ने कहा, ‘‘ संक्रमित क्षेत्रों के पांच किलोमीटर के दायरे में 622 गांवों में कुल 2,21,090 पशुओं को टीके लगाए गए हैं. 1,224 संक्रमित मवेशियों में से 752 इलाज के बाद ठीक हो गए, जबकि 22 की अब तक मौत हो गई.’’ पशुपालन विभाग के अनुसार इस बीमारी का इलाज संभव है. पशुपालकों से आग्रह किया गया है कि वे निकटतम पशु औषधालय या पशुपालन विभाग के टोल-फ्री नंबर 18002330418 या पशु चिकित्सा सेवाओं के लिए राज्य-स्तरीय टोल-फ्री नंबर 1962 पर संभावित प्रकोप की सूचना देने के लिए संपर्क करें. पशुपालन आयुक्त सचिन्द्र प्रताप सिंह ने अकोला जिले का दौरा कर प्रभावित पशुओं के इलाज व टीकाकरण संबंधी कार्यों की समीक्षा की थी.


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बीमारी में खाना छोड़ देते हैं मवेशी


अयोध्या जिले के कुमारगंज स्थित आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ़ वेटरनरी साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विभा यादव ने इस पर रिसर्च किया है. उनका कहना है कि लंपी वायरस मवेशियों में होने वाले संक्रामक रोग है, जो ज्यादातर गायों में हो रहा है. यह भैसों में न के बराबर होता है. इसका प्रमुख लक्षण मवेशी के नाक और मुंह से पानी या लार का गिरना, तेज बुखार आना है. इस बीमारी में मवेशी भोजन छोड़ देते हैं. पशुओं के चमड़ी के नीचे छोटे छोटे दाने हो जाते हैं. तेज बुखार के साथ वह दाने घाव का रूप ले लेते हैं. यह ज्यादातर मुंह, गर्दन, मलाशय और योनि में पाए जाते हैं.  उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी सबसे पहले नजदीकी पशु चिकित्सालय में देनी चाहिए.


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