Maharashtra Corona Death: महाराष्ट्र में कोरोना से जान गंवाने वालों का आकड़ा भले एक लाख 40 हजार के पार पहुंच गया है. लेकिन अब राज्य में कोरोना से होनी वाली मौतों को लेकर एक हैरान करने वाला तथ्य सामने आया है. जनवरी के महीने में राज्य में कोरोना से 1,040 मौत रिपोर्ट की गईं. कोविड डेथ ऑडिट कमेटी ने जब इस आंकड़े का ध्यान से अध्ययन किया तो पता चला कि इनमें से 58 ऐसे मरीजों की जान गई है जिनमें शुरुआत में कोई भी लक्षण नहीं था.
कमेटी ने इस अध्ययन में पाया कि 58 मरीज ऐसे थे जिनमें कोरोना से संक्रमित होने के बाद शुरुआती तौर पर कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहा था. इसे लेकर डॉ. अविनाश सुपे ने कहा कि अध्ययन में सामने आई ये बात इस ओर इशारा करती है कि कोरोना के किसी भी वेरिएंट को माइल्ड नहीं माना जा सकता.
डॉक्टर सुपे ने कहा, ''कमजोर लोगों की आइसोलेशन में भी निगरानी जरूरी है. बिना किसी लक्षण वाले मरीजों की मौत का प्रतिशत 5.5 रहा.'' जनवरी में 63 प्रतिशत उन मरीजों की जान गई है जो कई अन्य गंभीर बीमारियों से भी पीड़ित थे. वहीं 44 प्रतिशत मरीजों में सांस संबंधी तकलीफें देखी गई. कोरोना की तीसरी लहर में ज्यादातर केस या तो माइल्ड थे या फिर कम गंभीर थे, इसी के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत नहीं पड़ी. पहली दो लहरों के मुकाबले तीसरी लहर में कम लोगों की जान गई है. पहली लहर में यह 2.2 प्रतिशत थी वहीं दूसरी में डेल्टा वेरिएंट के चलते यह बढ़कर 2.8 प्रतिशत हो गई थी. वहीं तीसरी लहर में डेथ रेट 0.1 प्रतिशत ही दर्ज किया गया.
वहीं मुंबई की बात करें तो निगम के आंकड़ों के मुताबिक 85 से 88 प्रतिशत कोरोना संक्रमित बिना किसी लक्षण वाले थे. हालांकि उन मरीजों पर बाद में इसका क्या प्रभाव रहा इसे लेकर कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है. इसे लेकर डॉक्टर वसंत नागवेकर ने कहा कि 40 वर्ष से कम उम्र वालों में ओमिक्रोन वेरिएंट में काफी तेज बुखार रिपोर्ट किया गया. वहीं, 60 वर्ष से अधिक उम्र वालों में बुखार कम ही देखा गया. यही कारण है कि लोगों ने इसे अधिक गंभीरता से नहीं लिया.
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