Maharashtra News: शिव सेना (Shiv Sena) में हुई बगावत के बाद दशहरे के मौके पर पहली बार पार्टी के दोनों गुटों का शक्ति प्रदर्शन होगा. शिवसेना की पारंपरिक दशहरा रैली को जहां शिवाजी पार्क में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) संबोधित करेंगे तो वहीं बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लैक्स में सीएम एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) रहे हैं. दोनों ही गुटों की कोशिश है कि वो अपने आपको प्रतिद्वंद्वी गुट से इक्कीस साबित करें.
पांच दशकों से हो रही रैली
मध्य मुंबई के शिवाजी पार्क में बन रहे मंच से दशहरे की शाम उद्धव ठाकरे अपने शिव सैनिकों को संबोधित करेंगे. वैसे तो शिव सेना की पारंपरिक दशहरा रैली पांच दशक से होती आ रही है, लेकिन इस बार की दशहरा रैली पर सियासी पंडितों की खास नजर है. इसका कारण है शिवसेना में अबसे 4 महीने पहले हुई बगवात है. वहीं जो एकनाथ शिंदे अब तक इन जैसी रैलियों में पार्टी कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ लेकर आया करते थे, अब उन्होंने ही पार्टी से बगावत कर दी है. उद्धव ठाकरे से खुद को अलग कर लिया है और अपने गुट को ही असली शिव सेना करार दिया है. यही वजह है कि वे भी दशहरे के मौके पर रैली आयोजित कर रहे हैं जो कि शिव सेना की पहचान बन गयी है.
अदालत का फैसला ठाकरे पत्र में
शिंदे गुट भी दशहरा रैली शिवाजी पार्क में ही करना चाहते थे, लेकिन मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में चला गया. अदालत ने ठाकरे गुट के पक्ष में फैसला सुनाया. इस वजह से शिंदे गुट को अपनी रैली बांद्र-कुर्ला कॉम्प्लैक्स के मैदान में आयोजित करनी पड़ रही है. भले ही शिवाजी पार्क शिंदे को न मिल पाया हो, लेकिन उनकी कोशिश है कि रैली की भव्यता के मामले में वो ठाकरे गुट को टक्कर दे.
एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप
शिंदे गुट ने रैली के लिये जो प्रचार सामग्री तैयार की है उसके जरिये ये संदेश दिया जा रहा है कि दिवंगत शिव सेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के विचारों के असली वारिस वे ही हैं. उधर ठाकरे गुट की तरफ से भी बालासाहब ठाकरे के नाम का इस्तेमाल करते हुए आक्रमक प्रचार सामग्री तैयार की गई है. भीड़ जुटाने को लेकर दोनों गुट एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी कर रहे हैं. शिंदे गुट का आरोप है कि ठाकरे गुट की शिवाजी पार्क की रैली में भीड़ दिखाने के लिये बडे़ पैमाने पर कांग्रेस और एनसीपी के कार्यकर्ता भी उसमें जायेंगे. वहीं ठाकरे गुट का आरोप है कि शिंदे की रैली में बीजेपी के कार्यकर्ताओं की भरमार होगी.
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