Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति बीते दिनों से एक बार फिर चर्चा में है. एनसीपी में बगावत हुई और भतीजे अजित पवार (Ajit Pawar) ने अपने चाचा शरद पवार (Sharad Pawar)की पार्टी छोड़ दी. साथ ही अजित पवार एनसीपी के विरोधी दल बीजेपी में शामिल हो गए और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री बन गए. उनके साथ महाराष्ट्र के कई विधायक भी गए, लेकिन अब सवाल यहा उठता है कि, अजित पवार के एनडीए में एंट्री के बाद से क्या कुठ सियासी समाकरण बदलेगा या नहीं?
दरअसल, टाइम्स नाउ नवभारत के सर्वे में यह बात सामने आई है कि, अजित पवार के एनडीए में एंट्री से नुकसान होगा साथ ही सीट के लिए कलह भी होगी आपको बता दें कि, 36 प्रतिशत लोंगों ने इस बात का समर्थन किया है. वहीं 31 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि, एनडीए एक बार फिर 2019 दोहराएगा. इसके साथ ही 33 फीसदी लोगों का कहना है कि, फायदा होगा, लकिन बहुत खास फायदा नहीं हो पाएगा. तो ऐसे में जो बात सामने आई है वो यही है कि अजित पवार से एनडीए को कोई खास फायदा नहीं होने वाला है.
अजित पवार से क्या हो सकते हैं फायदे?
वहीं गठबंधन सरकार में पवार की एंट्री में बीजेपी की मजबूरी की बात करें तो इसके बीजेपी एक तीर से कई निशाने साध सकती है. इसके जरिए बीजेपी अब उन 11 लोकसभा क्षेत्रों में सेंध लगा सकती है जो पहले एनसीपी के गढ़ थे. एनसीपी के इन गढ़ों में बीजेपी से अलग मतदाता आधार है. अजित पवार के शामिल होने से बीजेपी को अपनी पकड़ मजबूत होने की उम्मीद है. इससे बीजेपी को पुणे, सतारा और अन्य सहित पश्चिमी महाराष्ट्र के जिलों में अपना आधार बढ़ाने में मदद मिलेगी. माना जाता है कि फडणवीस और अजित पवार के बीच दोस्ताना संबंध हैं. वहीं लोगों का कहना है कि शिंदे अब तक महाराष्ट्र में प्रभाव नहीं डाल पाए हैं और अजित पवार के आने से वह और कमजोर हो सकते हैं.
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