Maharashtra Alphonso Mango: महाराष्ट्र का अलफांसो आम इतना क्यों है खास? स्वाद लाजवाब लेकिन कीमत जानकर उड़ जाएंगे होश
Maharashtra News: यह देश का इकलौता ऐसा आम है तो किलो नहीं दर्जन के भाव में बिकता है. महाराष्ट्र में इस आम को हापुस के नाम से भी जाना जाता है.
Specialties of Alphonso Mangoes of Maharashtra: आम तो आपने बहुत खाए होंगे, लेकिन स्वाद और मिठास के मामले में महाराष्ट्र के अलफांसो का जवाब नहीं. यह आम इतना खास है कि इसके दीवाने भारत में ही नहीं दुनिया के हर कोने में मिल जाएंगे. यह आम देश के सबसे चर्चित आमों में से एक है. भारत में वैसे तो आम की कई कस्में मिलती हैं जिनमें बिहार का जर्दालू, गोवा का मनकुरद और मुसरद, पश्चिम बंगाल का हिमसागर और मालदा, दक्षिण भारत का बंगनपल्ली आम की कुछ प्रमुख किस्में हैं, लेकिन इन सबमें श्रेष्ठ है महाराष्ट्र का अलफांसो. इसकी मिठास, स्वाद और सुगंध बाकी आमों से बिल्कुल अलग है.
ये है आम की सबसे बड़ी खासियत
इस आम की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह पकने के एक हफ्ते बाद तक खराब नहीं होता. यही वजह है कि इस आम का निर्यात भारत से सबसे अधिक होता है. अब चूंकि यह आम थोड़ा खास है इसलिए इसकी कीमत भी सबसे अधिक होती है. यह देश का पहला आम के जो किलो नहीं दर्जन के भाव बिकता है. जहां थोक बाजार इसकी कीमत 700 रुपए दर्जन है तो वहीं फुटकर बाजार में यह 2500 रुपए से 7000 रुपए दर्जन के हिसाब से मिलता है. इस आम का वजन 150 से 350 ग्राम तक हो सकता है. महाराष्ट्र में इस आम को हापुस के नाम से भी जाना जाता है.
कैसे पड़ा अलफांसो नाम
दरअस्ल अल्फांसो एक अंग्रेजी नाम है. पुर्तगाल के एक मशहूर सैन्य रणनीतिकार अफोंसो अल्बूकर्क के नाम पर इस नाम का नामकरण हुआ था. अफोंसो को बागबानी का बहुत शौक था. जब गोवा में पुर्तगालियों का शासन था उस समय ही उन्होंने आम के पेड़ लगाए थे. अंग्रेजों को यह आम खूब पसंद आया. उनके ही सम्मान में इस आम का नाम अल्फांसो पड़ा.
अलफांसो को मिल चुका है जीआई टैग
यूरोप में आज भी इस आम का निर्यात सबसे अधिक होता है. इसके अलावा जापान, कोरिया, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के लोग भी इसके चाहने वालों की लिस्ट में शामिल हैं. इस आम को जीआई टैग भी मिल चुका है. बता दें कि जीआई जियोग्राफिकल इंडीकेशन सर्टिफिकेशन टैग अपने क्षेत्र में विशेष पहचान रखने वाले उत्पादों को ही दिया जाता है. स्वाद के मामले में इस आम का जवाब नहीं. इसकी त्वचा बेहत पतली लेकिन कठोर होती है. अन्य आमों की तुलना में इसकी गुठली छोटी होती है. इस आम को पकाने के लिए किसी केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता.
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