Maratha Reservation: मराठा आरक्षण के जटिल मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार और विपक्ष के बीच बड़े राजनीतिक युद्ध के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को धनगर आरक्षण के लंबित मुद्दे पर एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया. अधिकारियों ने कहा कि इस कदम को बुधवार को मुंबई में होने वाली कैबिनेट बैठक से पहले मंजूरी मिलने की संभावना है.


पिछले कुछ दिनों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एपी) से अलग हुए मंत्री छगन भुजबल के वरिष्ठ ओबीसी नेता की खुली चुनौती से मराठा आरक्षण का मुद्दा फिर से गरमा गया है. भुजबल ने स्पष्ट कर दिया है कि ओबीसी, जो राज्य की आबादी का 54 प्रतिशत है, मराठों के साथ अपना कोटा साझा करने के राज्य सरकार के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करेंगे, जैसा कि विचार किया जा रहा है.


इससे सत्तारूढ़ शिवसेना के शंभूराज देसाई और अन्य मंत्रियों की तीखी प्रतिक्रिया हुई, जिन्होंने पिछले लगभग तीन महीनों से राज्य की राजनीति में हलचल मचाने वाले इस मामले में लोगों को गुमराह करने के प्रयास के लिए भुजबल की आलोचना की. जालना में, शिवबा संगठन के अध्यक्ष मनोज जरांगे-पाटिल ने यह जानने की मांग की कि भुजबल को मराठों के प्रति इतना गुस्सा क्यों है.


प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले, राकांपा (सपा) के राष्ट्रीय सचिव जितेंद्र अवहाद, शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत और सुषमा अंधारे और अन्य ने शिंदे पर ओबीसी आरक्षण को कम करने और खत्म करने के लिए जानबूझकर प्रयास करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष (विधानसभा) विजय वडेट्टीवार और शिवसेना (यूबीटी) के नेता प्रतिपक्ष (परिषद) अंबादास दानवे ने दिवाली के बाद ओबीसी द्वारा आंदोलन की चेतावनी दी है, क्योंकि यह मुद्दा अभी भी गर्म है, क्योंकि भुजबल ने चेतावनी दी है कि जो लोग विरोध करेंगे, वे ओबीसी सरकार से बाहर होंगे.


दलित नेता और वंचित बहुजन आघाडी के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने भुजबल पर हमला बोला है, वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने भुजबल का समर्थन किया है. नाराज लोगों को शांत करने का प्रयास करते हुए शिंदे ने मुद्दे को भ्रमित करने के लिए भुजबल को फटकार लगाई और दोहराया कि सरकार ओबीसी कोटा से मराठा आरक्षण नहीं देगी और डिप्टी सीएम अजित पवार से हस्तक्षेप करने की अपील की.


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