मुंबई की सीटों पर कम मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट मिलने को लेकर खड़े हुए सवाल, किसे होगा फायदा?
Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में मुंबई की सीटों पर मुस्लिम आबादी अधिक होने के बावजूद कम मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है. इसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.
Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी संग्राम शुरू हो चुका है. प्रदेश में एक चरण में 20 नवंबर को वोटिंग होनी, वहीं 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे. इस चुनाव में महायुति और महा विकास अघाड़ी गठबंधन में कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा. बता करें मुंबई की सीटों की तो यहां मुस्लिम मतदाता अधिक होने के बावजूद कम मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है.
मुंबई में मुस्लिम आबादी लगभग 20 प्रतिशत है. शहर की 10 सीटें ऐसी हैं, जहां पर 25 प्रतिशत से ज्यादा आबादी मुस्लिमों की है. इसके बावजूद प्रमुख राजनीतिक दलों की तरफ से एक से चार मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है. पहले नंबर पर कांग्रेस और इसके बाद अजित पवार की एनसीपी ने मुस्लिम उम्मीदवारों को अधिक सीटें दी हैं. लेकिन, अपेक्षा के मुताबिक वो भी कम है.
किस पार्टी ने किसे दिया टिकट?
कांग्रेस ने मुंबादेवी विधानसभा सीट से अमीन पटेल, मलाड पश्चिमी सीट से असलम शेख, बांद्रा पश्चिम सीट से आसिफ जकारिया और नसीम खान (चांदिवली) को टिकट दिया है. शिवसेना यूबीटी ने एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार हारून खान को मैदान में उतारा है. शरद पवार की पार्टी की तरफ से फहाद अहमद को अणुशक्ति नगर से टिकट दिया गया है. उनका मुकाबला एनसीपी (अजित पवार) की सना मलिक से होगा.
वहीं सना के पिता नवाब मलिक अजित पवार की एनसीपी से ही मुंबई की मानखुर्द शिवाजी नगर सीट से चुनाव मैदान में हैं. उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के मौजूदा विधायक अबू आसिम आजमी से होगा. इसके अलावा एनसीपी अजित पवार की तरफ से जीशान सिद्दीकी को बांद्रा पूर्व सीट से टिकट दिया गया है.
वहीं छोटी पार्टियों की अगर बात करें तो प्रकाश अंबेडकर की वीबीए ने 9 मुस्लिम उम्मीदवारों की टिकट दिया है, जबकि एआईएमआईएम ने चार उम्मीदवार खड़े किए हैं.
कम टिकट मिलने पर खड़े हुए सवाल
मुस्लिम उम्मीदवारों को कम टिकट मिलने पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं. पूर्व अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष नसीम सिद्दीकी का कहना है कि इससे मुस्लिम समुदाय में असंतोष है. ऐसा लगता है कि उनमें विश्वासघात की भावना घर कर गई है, क्योंकि मुस्लिम समुदाय को उनकी संख्या के मुबातिक बहुत कम सीटें मिली हैं.
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए भी हुआ है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में एमवीए के पक्ष में राज्य भर के विभिन्न इलाकों में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक वोट एकजुट हुए थे. जिसे महायुति के नेताओं ने वोट जिहाद का नाम दिया था. ऐसे में मुस्लिम वोटों का एक हिस्सा एआईएमआईएम, वीबीए और राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल जैसी छोटी पार्टियों को भी मिल सकता है.
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