Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब आने वाले नतीजों को लेकर चर्चा हो रही है. दोनों गठबंधन के प्रमुख दलों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है, लेकिन इस बार चुनावी मैदान में कई छोटे दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों की भी जबरदस्त मौजूदगी देखने को मिली है. इन दलों के चुनावी मुकाबले में उतरने से राज्य की राजनीति में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं. सभी के मन में सवाल है कि ये छोटे दलों या निर्दलीय उम्मीदवार किसका खेल बिगड़ेंगे? 


लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की जनता ने बीजेपी नेतृत्व वाली NDA और कांग्रेस INDIA गठबंधन के विकल्प में से एक पार्टी को चुना. हालांकि 5 महीने बाद राज्य की राजनीति के दांव पेंच बदल गए. विधानसभा चुनाव में एक तरफ़ बीजेपी, शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी है और छोटे दल हैं, जिसे महायुति नाम दिया है.


महाराष्ट्र में थर्ड फैक्टर कितना असर डालेगा?


दूसरी तरफ़ कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी (SP) और छोटे दल हैं. ये सभी महाविकास अघाड़ी का हिस्सा हैं. इस चुनाव में राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन आघाडी, ओवेसी की AIMIM, कई छोटे दल, बाग़ी उम्मीदवार और निर्दलीय मैदान में हैं. सवाल है कि थर्ड फैक्टर कितना असर डालेगा? 


राज ठाकरे की MNS किसका वोट काटेगी?


राज ठाकरे की नेतृत्व वाली MNS सीट जीते या हारे लेकिन कई सीटों पर प्रभाव ज़रूर रखती है. मुंबई और ठाणे क्षेत्र में इसका प्रभाव अधिक है. MNS ने अपने पुराने गढ़ में सत्ता की वापसी की कोशिश करेगी और यह देखा जाएगा कि क्या पार्टी बीजेपी और शिवसेना उद्धव गुट के वोट काटकर महायुति को मदद पहुंचाएगी.


प्रकाश आंबेडकर की VBA किसे देगी चुनौती?


VBA, जो कि दलित और पिछड़े वर्ग के हितों की बात करती है. ये भी चुनावी मैदान में है. VBA की ताकत विशेष रूप से मुंबई, नासिक और मराठवाड़ा क्षेत्र में देखी जा सकती है. इस पार्टी के प्रमुख प्रकाश आंबेडकर का दावा है कि उनकी पार्टी राज्य के सामाजिक और आर्थिक कमजोर वर्गों की आवाज बनेगी. राजनीतिक एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर VBA ने अपने वोटबैंक को सही तरीके से संकलित किया, तो यह शिवसेना और कांग्रेस को गंभीर चुनौती दे सकती है. 


छोटी पार्टियों का कोई प्रभाव नहीं- महेश तपासे


शरद पवार की एनसीपी (SP) के प्रवक्ता महेश तपासे का कहना है कि छोटी पार्टियों का कोई प्रभाव नहीं है. उन्होंने कहा, ''MIM जैसी पार्टियां सिर्फ वोट काटने के लिए आई थी लेकिन वो कोई काम नहीं आया. सबको पता है बड़ा नेता कौन है और हमारा गठबंधन पहले से ही है और आप देखिए सबसे ज्यादा बागी महायुति के हैं, हमारे पास नहीं हैं. तो हमारा नुकसान नहीं है और हमारे गठबंधन में ही उतने सीट हमको मिल जाएंगे''.


बहरहाल देखा जाए तो छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों का असर इस बार के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बहुत अहम हो सकता है. इन दलों के चुनावी प्रदर्शन से न केवल बड़े दलों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं, बल्कि राज्य की राजनीति में नए समीकरण भी बन सकते हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ये छोटे दल कितनी सीटें जीत पाते हैं और चुनाव परिणामों पर उनका क्या असर होता है? महाराष्ट्र की सभी 288 सीटों पर 23 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे.


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