महाराष्ट्र में 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे से खुद BJP नेता भी नाराज? अजित पवार के बाद इन्होंने जताई नाराजगी
Maharashtra Election 2024: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान 'बंटेंगे तो कटेंगे' पर सियासत तेज हो गई है. अजित पवार के साथ अब बीजेपी नेता पंकजा मुंडे और अशोक चव्हाण ने इसपर आपत्ति जताई है.
Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र में 20 नवंबर को चुनाव होना है. इससे पहले यहां 'बंटेंगे तो कटेंगे' और 'एक हैं तो सेफ हैं' जैसे नारों की खूब चर्चा हो रही है. महाराष्ट्र में बीते दिनों यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तस्वीर के साथ 'बंटेंगे तो कटेंगे' वाला पोस्टर दिखा था, तब से ही इसकी चर्चा ने जोर पकड़ लिया. इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने 'एक हैं तो सेफ हैं' की बात कही, जिसे बीजेपी ने अपना चुनावी नारा बना लिया.
एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता इन नारों का जोरशोर से प्रचार कर रहे हैं, वहीं विपक्ष की ओर से सवाल खड़े किए जा रहे हैं. हालांकि, अब इस नारे के खिलाफ एनडीए के भीतर भी आवाज उठ रही है. हाल ही में एनडीए के सहयोगी अजित पवार ने इस नारे पर आपत्ति जताई. वहीं अब बीजेपी के कुछ नेता भी इसपर आपत्ति जता रहे हैं.
अशोक चव्हाण ने क्या कहा?
बीजेपी के सांसद और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने एक इंटरव्यू में कहा, "बंटेंगे तो कटेंगे का नारा सही नहीं है. लोग इसकी सराहना भी नहीं करेंगे. अगर मैं अपनी बात करूं तो मैं ‘वोट जिहाद बनाम धर्म युद्ध’ की बयानबाजी को ज्यादा महत्व नहीं देता, क्योंकि बीजेपी और सत्तारूढ़ महायुति की नीति देश और महाराष्ट्र का विकास है."
मैं इस नारे को सपोर्ट नहीं करती- पंकजा मुंडे
महाराष्ट्र बीजेपी की दिग्गज नेता और पार्टी की ओबीसी चेहरा मानी जाने वाली पंकजा मुंडे ने भी ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे का विरोध किया है. पंकजा मुंडे ने कहा कि वह इस नारे को सपोर्ट नहीं करती हैं और महाराष्ट्र को इस तरह की राजनीति की जरूरत भी नहीं हैं. उन्होंने कहा, "सच कहें, तो मेरी सियासत अलग हैं. मैं सिर्फ इसलिए इसका समर्थन नहीं करूंगी कि मैं उसी पार्टी से हूं."
बीजेपी नेता ने कहा, "मेरा मानना है कि हमें विकास पर काम करना चाहिए और उसी मुद्दे पर चुनाव लड़ना चाहिए. एक नेता का काम इस जमीनी स्तर पर हर व्यक्ति को अपना बनाना है. इसलिए हमें महाराष्ट्र में ऐसा कोई विषय लाने की आवश्यकता नहीं है."
ऐसे बयान महाराष्ट्र में नहीं चलते-अजित पवार
एनसीपी प्रमुख अजीत पवार ने इस बयान का विरोध करते हुए कहा, "महाराष्ट्र ने कभी भी सांप्रदायिक विभाजन को स्वीकार नहीं किया. यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश में लोगों की सोच अलग है, लेकिन ऐसे बयान महाराष्ट्र में नहीं चलते हैं. मेरी राय में महाराष्ट्र में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कोई मायने नहीं रखता है, क्योंकि महाराष्ट्र के लोगों ने छत्रपति शाहू महाराज, ज्योतिबा फुले और बाबासाहेब आंबेडकर की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा का पालन किया है. हमारा नारा सबका साथ और सबका विकास है."
विनोद तावड़े ने क्या कहा?
हालांकि, बीजेपी नेता विनोद तावड़े ने शुक्रवार को कहा, यूपी के सीएम ने जो कहा उसमें कुछ भी विवादास्पद नहीं है. 'बटेंगे तो कटेंगे' एक सच्चाई है. कश्मीर में पंडित एकजुट नहीं थे और उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में महायुति धुले में पांच विधानसभा क्षेत्रों में आगे चल रही थी, लेकिन मालेगांव क्षेत्र में उसे झटका लगा. जाति आधारित विभाजन देश के हित के लिए हानिकारक है.
उन्होंने महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे का जिक्र करते हुए कहा, "अगर देश बंटा हुआ है, तो दूसरे लोग इसका फायदा उठाते हैं। इसलिए हम भी कह रहे हैं, 'एक हैं तो सेफ हैं.'
देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा?
डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडणवीस का कहना है कि उनकी पार्टी का नारा 'बंटेंगे तो कटेंगे' महाराष्ट्र विकास आघाडी (एमवीए) के चुनाव प्रचार अभियान के जवाब में गढ़ा गया है. बीजेपी नेता ने दावा किया कि उनके सहयोगियों अशोक चव्हाण और पंकजा मुंडे के साथ-साथ उप मुख्यमंत्री अजित पवार इसके ‘मूल’ अर्थ को समझने में विफल रहे.