Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र में सभी 288 सीटों पर होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज है. प्रदेश में कुल 7 जोन हैं, जहां अलग सियासी समीकरण हैं. कहीं सीएम एकनाथ शिंदे गुट की ताकत ज्यादा है तो कहीं उद्धव ठाकरे मजबूत हैं तो कहीं कमजोर हैं. कहीं पर कांग्रेस के हाथ कमल को खींचकर बाहर फेंकना चाहते हैं तो कुछ क्षेत्र में अजित पवार की घड़ी शरद पवार का समय बदलने की कोशिश कर रही है.


महाराष्ट्र के मुंबई, कोंकण, ठाणे, विदर्भ, पश्चिम महाराष्ट्र, उत्तरी महाराष्ट्र, मराठवाड़ा में अलग-अलग जगहों पर विभिन्न पार्टियों की अपनी-अपनी सियासी पकड़ है. इस रिपोर्ट के जरिए आज हम महाराष्ट्र के सियासी समीकरण को समझने की कोशिश करते हैं.
  
क्या है मुंबई का समीकरण?


मुंबई क्षेत्र में कुल 36 विधानसभा की सीटें आती हैं. मुंबई हमेशा उद्धव ठाकरे का गढ़ माना जाता रहा है. एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद ठाकरे को कुछ नुकसान जरुर हुआ है लेकिन लोकसभा चुनाव में ठाकरे के तीन में दो सांसद चुनकर आए. 2019 में उद्धव ठाकरे के 15 विधायक मुंबई में थे. हालांकि 2014 से बीजेपी मुंबई पर धीरे धीरे कब्जा कर चुकी है. बीजेपी के भी मुंबई में 15 विधायक हैं.


बीजेपी के आशीष शेलार, राहुल नार्वेकर, मंगलप्रभात लोढा, अमित साटम, तिमल सेल्वन, मनिषा चौधरी जैसे बड़े नेता हैं. दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, अजय चौधरी, सुनील प्रभू, सुनिल राउत, रमेश कोरगांवकर जैसै बड़े नेता हैं. मुंबई में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच लड़ाई है तो दूसरी तरफ बीजेपी और काग्रेस के बीच मुकाबला होने जा रहा है. कांग्रेस के भी अमिन पटेल, अस्लम शेख, ज्योति गायकवाड, नसिम खान जैसै चेहरे मैदान में उतरे हैं. वहीं, नवाब मलिक, सना मलिक जैसा परिवार अजित पवार की तलवार की धार तेज कर रहे हैं.


कोंकण में किसकी पकड़ मजबूत?


महाराष्ट्र के कोंकण पर सांसद नारायण राणे का राज हुआ करता था लेकिन वह जमाना बालासाहेब ठाकरे का था. धीरे-धीरे कोंकण क्षेत्र में उद्धव ठाकरे का करिश्मा दिखने लगा लेकिन आज यहां कांटे की टक्कर दिख रही है. कोंकण में सीधी लड़ाई उद्धव गुट और शिंदे गुट के बीच है.


सीएम एकनाथ शिंदे के पास दीपक केसरकर, उदय सामंत जैसे मंत्री हैं तो दूसरी तरफ निलेश राणे, किरण सामंत जैसे ताकतवर नेता हैं. इस बार कोंकण में एकनाथ शिंदे गुट का जलवा देखने मिल सकता है.


ठाणे का सियासी समीकरण? 


महाराष्ट्र का ठाणे क्षेत्र पहले से एकनाथ शिंदे का गढ़ माना जाता रहा है. यहां धर्मवीर आनंद दीघे से लेकर एकनाथ शिंदे तक ठाणे पर शिंदे की छवि रही है. इस बार शिंदे के लिए ठाणे की आर-पार की लड़ाई होगी. ठाणे में यूबीटी के खिलाफ शिंदे गुट का मुकाबला होनेवाला है. खुद एकनाथ शिंदे ठाणे के कोपरी पाचपाखाडी से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. 


शिंदे के साथ साथ प्रताप सरनाईक, बीजेपी के रविंद्र चव्हाण, गणेश नाईक सभी ताकतवर नेता हैं तो दूसरी तरफ राजन विचारे, केदार दीघे जैसे निष्ठावान शिवसैनिक उद्धव ठाकरे की कमान सांभालने जा रहे हैं. यहां एकनाथ शिंदे किंग मेकर की भूमिका में दिख सकते हैं. 


विदर्भ में कौन है मजबूत?


विदर्भ मे सीधी लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी में है. 2014 से पहले विदर्भ कांग्रेस का गढ़ माना जाता था लेकिन अब देवेंद्र फडणवीस ने यहां कमल खिला के रखा है. कांग्रेस किसी तरह यहां से कमल को हटाना चाहती है लेकिन ये उतना भी आसान नहीं है.


विदर्भ में कांग्रेस की टीम में नाना पटोले, विजय वड्डेटीवार, यशोमती ठाकूर, नितिन राऊत, सुनिल केदार जैसै बडे नामवाले चेहरे हैं तो दूसरी तरफ  देवेंद्र फडणवीस, सुधीर मुनगंटीवार, नितिन गडकरी, चंद्रशेखर बावनकुळे जैसे बीजेपी नेताओं की मजबूत फौज है, इसलिए विदर्भ में कमल बनाम कांग्रेस का हाथ की लड़ाई है.


पश्चिम महाराष्ट्र में क्या है सियासी समीकरण?


महाराष्ट्र की राजनीति में जबसे शरद पवार ने एंट्री की है, तबसे पश्चिम महाराष्ट्र की जनता शरद पवार पर भरोसा करती रही है. शरद पवार खुद बारामती से हैं इसलिए पश्चिम महाराष्ट्र की जनता को पवार परिवार की तरह लगते हैं. इस बार अजित पवार और शरद पवार के बीच की यह लड़ाई है. बगावत करने के बाद अजित पवार अपने चाचा शरद पवार से भिड़ने जा रहे हैं. 


शरद पवार वाली पार्टी के गुट में सबसे पुराने नेता जयंत पाटील के साथ साथ युगेंद्र पवार, रोहित पवार और रोहित पाटील जैसी युवा टीम भी है. इन सबका नेतृत्व सुप्रिया सुळे कर रहीं हैं. दूसरी तरफ अजित पवार के साथ लोग जुड़ रहे हैं लेकिन ये वोटों में तब्दील नहीं हो पा रहा है. बारामती लोकसभा सीट पर अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को लोगों ने पसंद नहीं किया और उन्हें हार का सामना करना पड़ा.


मराठवाड़ा में सियासी तौर पर कौन कितना मजबूत?


मराठवाड़ा क्षेत्र में पहले बाळासाहेब ठाकरे राज किया करते थे. संभाजीनगर की राजनीति महाराष्ट्र को हिलाकर रखती थी. हालांकि अब शिंदे की बगावत के बाद संजय शिरसाट, संदीपान भुमरे, प्रदीप जैस्वाल जैसै नेता एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना के साथ जुड़ गए. मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे फैक्टर ने पूरे महाराष्ट्र में शायद असर पड़ा. बीजेपी के खिलाफ मराठवाड़ा में मराठा फैक्टर का लोकसभा चुनाव में इफेक्ट दिखाई दिया.


उद्धव ठाकरे को मराठवाड़ा में जूझना पड़ रहा है. पूर्व सांसद चंद्रकांत खैरे और विपक्ष नेता अंबादास दानवे ठाकरे को मराठवाड़ा में ऊपर लाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन इनका जादू कुछ काम नहीं कर पा रहा है.


उत्तर महाराष्ट्र का सियासी समीकरण क्या?


उत्तर महाराष्ट्र में बीजेपी का कमल धीरे-धीरे खिलते हुए नजर आ रहा है. बीजेपी के संकटमोचक गिरिश महाजन, एकनाथ शिंदे के दादा भुसे और अजित पवार के छगन भुजबल यहां ताकतवर नेता हैं. शरद पवार और कांग्रेस पार्टी से भी ठाकरे को माननेवाला वर्ग उत्तर महाराष्ट्र में ज्यादा है. इसलिए लोकसभा चुनाव में शिंदे के नेता को हराकर ठाकरे के सांसद वाझे ने बाजी मारी. विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे यहां महायुति को झटका दे सकते हैं.


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