Maharashtra News: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है. प्रत्याशियों को अब नतीजों का इंतजार है. विधानसभा चुनाव का मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया. महाराष्ट्र के मतदाताओं ने नया रिकॉड बनाया है. आंकड़ों के मुताबिक इस बार 65 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई है. इससे पहले साल 1999 का मतदान प्रतिशत ज्यादा था. वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी के बाद अनुमानों का दौर शुरू हो गया है. अक्सर भविष्यवाणी वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी या कमी के आधार पर की जाती है. 


मतदान के आंकड़े



  • साल 1962- कुल मतदान 60.36%, पुरुष 65.71%, महिला 54.51%

  • साल 1967 - कुल मतदान 64.84%, पुरुष 69.21%, महिला 60.25%

  • साल 1972-  कुल मतदान 60.63%, पुरुष 64.69%, महिला 56.38%

  •  साल 1978 - कुल मतदान 67.59%, पुरुष 70.49%, महिला 64.55%

  • साल 1980-  कुल मतदान 53.3%, पुरुष 58.7%, महिला 48.28%

  • साल 1985 - कुल मतदान 59.17%, पुरुष 65.01%, महिला 56.17%

  • साल 1990 - कुल मतदान 62.26%, पुरुष 65.19%, महिला 59.8%

  • साल 1995 - कुल मतदान 71.69%, पुरुष 72.68%, महिला 70.64%

  • साल 1999 -  कुल मतदान 60.95%, पुरुष 63.65%, महिला 58.3%

  • साल 2004 - कुल मतदान 63.44%, पुरुष 65.5%, महिला 61.37%

  • साल 2009 - कुल मतदान 59.5%, पुरुष 61.55%, महिला 57.23%

  • साल 2014 - कुल मतदान 63.8%, पुरुष 64.33%, महिला 61.59%

  • साल 2019 - कुल मतदान 61.1%, पुरुष 65.77%, महिला 59.65%

  • साल 2024- कुल 65 प्रतिशत से अधिक मतदान किया गया दर्ज


शुरू हुआ अनुमानों का दौर


मतदान प्रतिशत बढ़ने पर विशेषज्ञ दो संभावनाओं की भविष्यवाणी करते हैं. अनुमान लगाया जाता है कि मतदाताओं का रुझान सत्तारूढ़ दल के खिलाफ गया है या विपक्ष मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक ले जाने में सफल रहा. इस बार के विधानसभा चुनावों की स्थिति कुछ अलग थी. महिला मतदाताओं को आकर्षित करने पर राजनीतिक दलों का फोकस रहा. सत्ताधारी दल ने लाडली बहन योजना का जमकर प्रचार किया. विपक्ष ने भी योजना की राशि में दोगुना इजाफा करने का ऐलान किया. लोकतंत्र के पर्व में महिलाओं की भागीदारी देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि कुछ फायदा सत्ताधारी दल को मिलेगा. हालांकि चुनाव में विपक्ष की ओर से लगातार महिलाओं पर अत्याचार का मुद्दा उठाया गया. इसके साथ ही महंगाई भी एक अहम मुद्दा था. महंगाई की मार सबसे ज्यादा महिलाओं पर पड़ती है.  


क्या कहते हैं चुनाव विश्लेषक


चुनाव विश्लेषक विनोद यादव का कहना है कि जातीय समीकरण और मत विभाजन को भी अहम कारक माना जाता है. शरद पवार की एनसीपी के प्रवक्ता महेश तपासे ने कहा कि लोकसभा में भी रुझान को गिरते देखा है. उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल सिर्फ सैंपल सर्वे है. महेश तपासे ने दावा किया कि राज्य की जनता ने एकतरफा महाविकास अघाड़ी के पक्ष में फैसला किया है. उन्होंने कहा, "अलग अलग मुद्दों की वजह से वोट प्रतिशत बढ़ा है. बढ़ा हुआ वोट महाविकास अघाड़ी के खेमे में है. रोजगार लोगों से छीन लिए गये. बहनें बेवकूफ नहीं हैं. सब देख और समझ रही हैं. 23 नवंबर को पता चल जायेगा कि वोट प्रतिशत का फायदा सत्ता पक्ष या विपक्ष को मिला." 


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