(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर NCP अजित पवार गुट ने अखबार में दिया चुनाव चिह्न 'घड़ी' का विज्ञापन, कही ये बात
Maharashtra Election 2024: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एनसीपी अजित पवार गुट ने मराठी अखबार में अपने चुनाव चिन्ह घड़ी का विज्ञापन छपवाया है. अब उन्हें कोर्ट में शपथ पत्र जमा करवाना होगा.
Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के प्रचार के बीच नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के चुनाव चिह्न 'घड़ी' का विवाद फिर सामने आया है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से डिप्टी सीएम अजित पवार को 36 घंटे के अंदर अखबारों में चुनाव चिन्ह घड़ी का डिस्क्लेमर छपवाने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश के बाद मराठी अखबार में अजित पवार की पार्टी एनसीपी ने चुनाव चिन्ह का विज्ञापन छपवाया है. इसमें जिक्र किया गया है कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है और चुनाव में घड़ी के चुनाव चिन्ह का उपयोग करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति प्राप्त है.
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से अजित पवार को अखबार में विज्ञापन छपवाने के बाद शपथ पत्र जमा करने का निर्देश भी दिया था. फिलहाल चुनाव चिन्ह घड़ी के विवाद में अजित पवार गुट को बड़ी राहत मिली है.
बता दें कि चुनाव चिह्न 'घड़ी' का मामला जब सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो न्यायाधीश की ओर से अजित पवार और शरद पवार को नसीहत दी गई कि कोर्ट में वे अपना समय बर्बाद न करें, चुनाव प्रचार में जाकर वोटरों को लुभाएं. साथ ही अजित गुट को कहा वे किसी मराठी अखबार में डिस्क्लेमर छपवाएं कि घड़ी चुनाव चिह्न का मामला अभी कोर्ट में है.
मामले पर क्या बोले दोनों पक्षों के वकील?
कोर्ट के आदेश के बाद अजित पवार गुट के वकील बलबीर सिंह ने आश्वासन दिया था कि 36 घंटे में मराठी भाषा के अखबारों में डिस्क्लेमर प्रकाशित करवाया जाएगा, ताकि मतदाताओं तक व्यापक जानकारी पहुंचाई जा सके. उन्होंने दावा किया कि शरद पवार गुट चुनावी प्रक्रिया में बाधा डालने की कोशिश कर रहा है, जबकि अब उम्मीदवारों के नामांकन भी दाखिल हो चुके हैं और नाम वापस लेने की डेट भी निकल चुकी है.
वहीं शरद पवार गुट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि घड़ी चुनाव चिन्ह 30 सालों से एनसीपी से जुड़ा हुआ है और ये शरद पवार की पहचान का भी हिस्सा बन गया है. ऐसे में सिंघवी ने कोर्ट से अनुरोध करते हुए कहा कि अजित पवार गुट को कोई ओर चुनाव चिन्ह दिया जाए, ताकि वोटरों में भम्र की स्थिति न बने.
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