Maharashtra Assembly Elections 2024 Survey: महाराष्ट्र में इस साल के आखिरी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज है. सभी पार्टियां चुनावी हार-जीत के इस खेल के लिए जबरदस्त तैयारी में लगी हैं. इसी बीच एक प्री-पोल सर्वे सामने आया है, जो कि हैरान करने वाला है. 


सकाल मीडिया ग्रुप के इस सर्वे में महाविकास अघाड़ी (MVA) आगे निकलती हुई दिख रही है यानी फिलहाल इंडिया गठबंधन के पक्ष में माहौल बनता दिख रहा है. इस सर्वे में 48.7 फीसदी लोगों ने MVA के पक्ष में अपना मत दिया है जबकि 33.1 प्रतिशत लोग बीजेपी-शिंदे गठबंधन महायुति के पक्ष में नजर आ रहे हैं. इसके अलावा, 4.9 फीसदी लोगों ने किसी के भी पक्ष में अपना मत नहीं दिया. 


MVA में आने से किस पार्टी को हुआ सबसे ज्यादा फायदा?
सर्वे में यह भी सवाल किया गया था कि महाविकास अघाड़ी में जाने से किस पार्टी को फायदा हुआ और किसको नुकसान? इस सवाल के जवाब में 37.1 फीसदी लोगों ने कांग्रेस को प्राथमिकता दी. वहीं, सर्वे में शामिल 30.8 प्रतिशत लोगों का मानना रहा है कि एमवीए से सभी घटक दलों का फायदा हो रहा है.


इसके बाद 18.5 फीसदी लोगों का मानना है कि शरद पवार की एनसीपी को महाविकास अघाड़ी का सबसे ज्यादा फायदा मिल सकता है. वहीं, सबसे कम लोगों का मानना है कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी को एमवीए का फायदा मिल रहा है. ये मत देने वाले केवल 13.6 फीसदी लोग हैं. 


क्या कांग्रेस के साथ अलायंस करने से उद्धव ठाकरे को हुआ नुकसान
सर्वे में जब सवाल किया गया कि कांग्रेस के साथ एमवीए में शामिल होने से क्या उद्धव ठाकरे को नुकसान हुआ है? तो 31.3 फीसदी लोगों ने हां में इसका जवाब दिया. वहीं, 43.3 फीसदी लोगों का मानना है कि उद्धव ठाकरे को इससे नुकसान नहीं बल्कि फायदा हुआ है. इसके अलावा, करीब 25 फीसदी लोगों ने इस सवाल पर अपनी कोई राय नहीं दी.


महायुति में महाराष्ट्र की जनता किसके साथ?
महायुति में तीन पार्टियां हैं- बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी. सर्वे में सवाल किया गया कि महायुति गठबंधन की इन तीन पार्टियों में जनता किसके साथ है, तो जवाब में 37 फीसदी लोगों ने शिवसेना का साथ दिया. वहीं, करीब 22 फीसदी लोगों ने बीजेपी के पक्ष में अपना मत दिया और केवल 8.7 फीसदी लोग ऐसे रहे, जो अजित पवार की एनसीपी के पक्ष में गए. 


हैरान करने वाली बात यह रही कि बीजेपी और एनसीपी से भी ज्यादा जनता ने अन्य के पक्ष में वोट किया. करीब 31.2 फीसदी जनता ने अन्य का विकल्प चुना.


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