Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के लिए कई मुद्दे हैं. इनमें से एक ज्वलंत मुद्दा किसानों की खुदकुशी का भी है. महाराष्ट्र में इस साल जनवरी से जुलाई तक 1267 किसानों ने खुदकुशी कर ली थी. इनमें से अकेले 557 मौतें विदर्भ के अमरावती में हुई थीं. अभी भी विदर्भ रीजन में बेमौसम बारिश और फसलों की उचित कीमत ना मिलने के कारण निराशा में आकर किसान खुदकुशी कर रहे हैं.


विदर्भ क्षेत्र कपास और सोयाबीन की खेती के लिए मशहूर है. पिछले कुछ दशकों में बेमौसम बारिश, कम न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी, फसल की कीमत में गिरावट और महंगाई की वजह से किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़े हैं .ये किसान महंगाई की दर के आधार पर कपास और सोयाबीन की फसलों की उचित दर तय करने की अपील सरकार से कर रहे हैं.


पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक विदर्भ के कृषि संकट का चेहरा बनकर उभरीं कलावती बंदुरकर ने कहा, ‘‘फसल की उचित कीमत नहीं मिलती, किसान कर्ज के जाल में फंसे हैं. उनसे खुदकशी के सिवाय और क्या उम्मीद की जा सकती है?  किसानों का कहना है कि कपास की कीमतें 10 साल से जस की तस बनी हुई हैं. सोयाबीन का दर भी नहीं बढ़ा है. किसानों के लिए उपज की कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ है.''


यहां के किसान कर्ज के जाल में फंसे हुए हैं. बैंकों से कर्ज मिलने में कठिनाई के कारण उन्होंने साहूकारों से कर्ज ले रखा है जिस वजह से वे कर्ज को बोझ के तले दबे हुए हैं. और कर्ज ना चुका पाने की हालत में उनके लिए खुदकुशी ही एकमात्र रास्ता बन गई है. 


यह है किसानों की मांग


किसानों का कहना है कि कपास की कीमत कम से कम 10 हजार रुपये क्विंटल होना चाहिए जो कि करीब सात हजार रुपये ही है. सोयाबीन की दर भी 4000 रुपये के करीब है. फसलों की सरकारी कीमत भले ना बढ़ पाई हो लेकिन कृषि में लगने वाले उत्पादों की कीमत काफी बढ़ गई है. एक ही दर पर कृषि उपज बेचने पर उनके पास कोई बचत नहीं हो रही है. ऐसे में उनके रोजमर्रा के खर्चे उठाना भी मुश्किल है. 


विपक्ष जोर-शोर से उठा रहा मुद्दा


एक अनुमान के मुताबिक विदर्भ, मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र में कपास के किसानों की संख्या 40 लाख है. बता दें कि कांग्रेस इन किसानों का मुद्दा उठा चुकी है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा था कि इसे एमएसपी के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए. वहीं, किसान संगठनों की मांग है कि महाराष्ट्र में नई सरकार को उन परिवारों का ऋण माफ कर देना चाहिए जो किसान की खुदकुशी जैसे कदमों से प्रभावित हुई है और किसानों के बच्चों को उचित अवसर उपलब्ध कराना चाहिए.


लोकसभा चुनाव के झटके से उबरेगी महायुति?


विदर्भ की चुनावी स्थिति को देखें तो यहां विधानसभा की 35 सीटें हैं. 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने 29 सीटें जीती थीं जबकि अकेले बीजेपी ने 15 सीटें अपने नाम की थीं. वहीं, अविभाजित शिवसेना ने 12 और अविभाजित एनसीपी ने पांच सीटें जीती थीं. वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम महायुति के लिए निराशाजनक रहे क्योंकि एमवीए ने यहां की 10 में से सात सीटें जीत ली थीं.


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