Maharashtra Assembly Election Result 2024: लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त झेलने के बाद महायुति ने विधानसभा चुनाव में दमदार वापसी की है. महायुति ने 288 विधानसभाओं में 230 पर कब्जा कर लिया है. वहीं, महाविकास अघाड़ी महज 46 सीटों पर ही सिमट गई. महायुति सरकार की लड़की बहिन योजना एक बड़ा गेमचेंजर साबित हुई. वहीं ओबीसी और हिंदुत्व समर्थक वोट के एकीकरण ने महायुति की ताकत बढ़ाने का काम किया.
बीजेपी ने 132 सीटें जीतकर महाराष्ट्र में अपनी अब तक सबसे बड़ी जीत हासिल की है तो वहीं कांग्रेस का महाराष्ट्र में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है. 2014 में मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस यहां 42 सीटें जीतने में कामयाब रही थी लेकिन इस बार कांग्रेस यहां सिर्फ 16 सीटें जीत पाई है. वहीं दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी को इस जीत ने पार्टी का असली उत्तराधिकारी भी बना दिया है. जहां शिवसेना शिंदे ने 57 सीटों पर जीत दर्ज की है वहीं शिवसेना उद्धव ठाकरे महज 20 सीटें ही हासिल कर पाई है.
इसी तरह एनसीपी अजित पवार ने 41 सीटों पर कब्जा किया है तो वहीं एनसीपी शरद पवार की पार्टी 10 सीटों पर ही सिमट गई. उद्धव ठाकरे जिनको उनके पिता बाल ठाकरे ने पार्टी का प्रमुख बनाया था, उन्होंने अपना जनाधार खो दिया है. वो राजनीतिक विस्मृति की ओर आगे बढ़ रही है. वहीं 84 वर्षीय शरद पवार के लिए अस्तित्वगत संकट खड़ा हो गया है.
महायुति की जीत में इनका भी अहम योगदान
महायुति की जीत में लड़की बहिन योजना ने अहम भूमिका निभाई, महायुति ने सरकार बनने पर इसे 2100 रुपये करने का वादा किया. 52 लाख परिवारों के लिए 3 मुफ्त गैस सिलेंडर, 8 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले परिवारों की लड़कियों के लिए मुफ्त उच्च शिक्षा की भी घोषणा की. इन योजनाओं ने महिला मतदाताओं को उत्साहित किया. मराठा आंदोलन से ओबीसी ध्रुवीकरण होने की उम्मीद थी इसलिए बीजेपी ने ओबीसी की 7 जातियों व उप जातियों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने के लिए आयोग बनाने का प्रस्ताव दिया.
योगी आदित्यनाथ के 'बटेंगे तो कटेंगे' जैसे नारों के माध्यम से हिंदुत्व के एकीकरण ने हिंदू समुदाय के भीतर इस चिंता को जन्म दिया कि मुस्लिम वोट एमवीए के पीछे एकजुट हो गया है. इसी वजह से महायुति में शामिल बीजेपी ने 149 सीटों में से 132 सीटों पर जीत दर्ज की. उन्होंने प्रदेश की छह प्रमुख पार्टियों के बीच सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा.
किसानों के लिए भी कई बड़े वादे
विदर्भ और मराठवाड़ा की सीटें जहां कपास और सोयाबीन की फसल की कम कीमतों पर किसानों का गुस्सा सरकार के खिलाफ जाने की उम्मीद थी वहां भी महायुति की जीत हुई. क्योंकि एमवीए इस मुद्दे को अच्छे से नहीं उठा पाया. दूसरी तरफ महायुति ने किसानों को सरकार आने पर 20 प्रतिशत एमएसपी और 7.5 एचपी तक के कृषि पंप वाले किसानों के लिए मुफ्त बिजली योजना की घोषणा की.
मराठा आरक्षण का नहीं दिखा असर
मराठा आरक्षण आंदोलन का प्रभाव जो लोकसभा चुनाव में दिखाई दिया था. जिसकी वजहज से रावसाहेब दानवे और पंकजा मुंडे जैसे नेताओं की हार हुई थी. लेकिन विधानसभा चुनाव में मराठा कार्यकर्ता मनोज जारांगे का प्रभाव भी काम नहीं कर पाया. मराठा आंदोलन के जवाब में ओबीसी के एकीकरण से बीजेपी को मदद मिली.
अजित पवार को क्षेत्रीय नेताओँ के साथ आने से मिली मदद
पश्चिमी महाराष्ट्र में जहां एनसीपी शरद पवार और एनसीपी अजित पवार की पार्टी के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद थी वहां भी अजित पवार की पार्टी हावी रही है. जिसकी मुख्य वजह अपने क्षेत्रों में प्रभाव रखने वाले कई नेता अजित पवार के साथ आ गए थे. सहकारी चीनी कारखानों, बैंकों और डेयरियों के ग्रामीण नेटवर्क पर उनके नियंत्रण ने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की.
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