Shiv Sena MLA Disqualification Case: महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बुधवार को कहा कि उन्होंने शिवसेना के दो प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अगली सुनवाई 13 अक्टूबर की जगह 12 अक्टूबर को करेंगे. नार्वेकर ने पिछले महीने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले दो प्रतिद्वंद्वी सेना गुटों द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की थी. पहली सुनवाई 14 सितंबर को हुई थी.
राहुल नार्वेकर ने क्यों लिया ऐसा फैसला?
यहां पत्रकारों से बात करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, अयोग्यता याचिकाओं पर (अगली) सुनवाई शुक्रवार को होने वाली थी. लेकिन चूंकि मुझे उस दिन दिल्ली में जी20 संसदीय अध्यक्षों के शिखर सम्मेलन (पी20) में भाग लेना है, इसलिए मैंने सुनवाई का कार्यक्रम आगे बढ़ा दिया है. यह अब शुक्रवार की बजाय गुरुवार को आयोजित किया जाएगा. मैं सुनवाई के लिए बाद की तारीख तय कर सकता था, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया क्योंकि, मैं सुनवाई में और देरी नहीं करना चाहता था. उन्होंने कहा, ''मैं इस मामले पर जल्द से जल्द फैसला लेना चाहता हूं. जुलाई में स्पीकर ने शिंदे के नेतृत्व वाली सेना के 40 और ठाकरे गुट के 14 विधायकों को नोटिस जारी कर उनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर जवाब मांगा था.
कल होगी सुनवाई
सीएम शिंदे और शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे समेत कुल 54 विधायकों के खिलाफ नोटिस जारी किया गया था. लेकिन पिछले साल शिवसेना के विभाजन के बाद चुनी गई सेना (यूबीटी) विधायक रुतुजा लटके के खिलाफ नोटिस जारी नहीं किया गया था. ठाकरे गुट से संबंधित सुनील प्रभु ने अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में अपनी क्षमता के अनुसार याचिका दायर की थी. इस साल 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि शिंदे प्रमुख बने रहेंगे. यह भी कहा कि वह ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार को बहाल नहीं कर सकती क्योंकि शिंदे के विद्रोह के मद्देनजर शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया.
शिवसेना (UBT) का ये है आरोप
शिवसेना (यूबीटी) अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय पर पहुंचने में नार्वेकर पर जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाती रही है. 21 सितंबर को, नार्वेकर ने कहा कि वह शिवसेना विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय में देरी नहीं करेंगे, लेकिन इसमें जल्दबाजी भी नहीं करेंगे क्योंकि इससे न्याय की हानि हो सकती है.