Maharashtra News: मुंबई महानगर पालिका BMC और विरासत संबंधी एक समिति एक हलफनामा दाखिल किया है. समिति ने गुरुवार को बंबई हाई कोर्ट को बताया कि मुंबई में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के स्मारक के निर्माण के लिए सभी आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन किया गया है. बीएमसी और मुंबई विरासत संरक्षण समिति MHCC ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम.एम. कार्णिक की पीठ के सामने अपने-अपने हलफनामे दाखिल किए. 


दरअसल उन्होंने एक जनहित याचिका के जवाब में ये हलफनामे दाखिल किए हैं. शिवाजी पार्क इलाके में स्थित महापौर के बंगले को बाल ठाकरे के स्मारक में तब्दील करने के लिए साल 2017 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा लिए गए निर्णय को चुनौती दी गई थी. भगवान रायानी नामक व्यक्ति ने अप्रैल 2017 में यह जनहित याचिका दाखिल की थी. यह स्मारक दादर में शिवाजी पार्क में उस भूखंड पर बनाया जाना है. जहां महापौर का बंगला स्थित है. बीएमसी ने अपने हलफनामे में कहा कि मई 2018 में राज्य सरकार ने महापौर के बंगले को बाल ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक में तब्दील करने की मंजूरी दी थी. वहीं भूमि आरक्षण को हरित क्षेत्र से बदलकर आवासीय क्षेत्र में कर दिया गया था.


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हलफनामे में कहा गया है कि महाराष्ट्र क्षेत्रीय एवं शहरी नियोजन MRTP अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार भूमि आरक्षण में बदलाव किया गया था. मुंबई विरासत संरक्षण समिति ने अपने हलफनामे में कहा कि महापौर का बंगला ग्रेड-बी के तहत आने वाला विरासत ढांचा है. वहीं समिति ने स्मारक के निर्माण के लिए सभी अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान किए थे. हलफनामे में कहा गया है कि याचिका में लगाया गया यह आरोप सत्य नहीं है. उक्त परियोजना (स्मारक) के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी. उच्च न्यायालय ने मामले को 25 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.


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