Maharashtra: अवैध पोस्टर और बैनर्स को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने की अहम टिपण्णी, नेता-मंत्रियों के लिए कह दी ये बात
Bombay High Court ने राज्य में अवैध पोस्टर और बैनर को लेकर कहा है कि इस खतरे से तभी निपटा जा सकता है जब नेता और मंत्री, जिनके लिए पोस्टर और बैनर लगाए गए हैं, अपने समर्थकों से इसे न लगाने के लिए कहें.
Bombay HC On Illegal Posters And Hoardings: बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को अवैध होर्डिंग्स के खिलाफ कार्रवाई करने के अपने पहले के आदेश को लागू करने में विफल रहने के लिए फटकार लगाते हुए, बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि यह कार्यपालिका के लिए है कि वह इसे लागू करे और न्यायाधीशों से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे अपने आदेश को लागू करने के लिए सड़कों पर उतरेंगे.
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने कहा कि "जब एक खंडपीठ ने एक आदेश पारित किया है और इसे चुनौती नहीं दी गई है, तो खंडपीठ का आदेश अंतिम हो जाता है." अदालत ने आगे कहा कि न्यायपालिका, कार्यपालिका के क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकती है और आदेशों को लागू नहीं कर सकती है. सीजे दत्ता ने कहा कि “उच्च न्यायालय ने एक आदेश पारित किया है और हमें इसे लागू करने के लिए कार्यपालिका पर निर्भर रहना होगा. हम सड़क पर नहीं जा सकते और अपने आदेशों को लागू नहीं कर सकते.”
पीआईएल पर सुनवाई कर रही थी अदालत
हाईकोर्ट राज्य भर में राजनीतिक दलों द्वारा लगाए गए अवैध बैनर, होर्डिंग और पोस्टर के मुद्दे पर जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के एक बैच की सुनवाई कर रहा था, जो याचिका के अनुसार सार्वजनिक स्थानों को खराब कर देता था. 2016 में, उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और सभी नगर निगमों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि सार्वजनिक स्थानों पर कोई भी अवैध होर्डिंग नहीं लगाया जाए और अधिकारियों को अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.
नेता-मंत्रियों के लिए हाईकोर्ट ने दिए ये सुझाव
अदालत ने यह भी दोहराया कि अवैध होर्डिंग के खतरे से तभी निपटा जा सकता है जब राजनीतिक नेता और मंत्री, जिनके लिए पोस्टर और बैनर लगाए गए हैं, अपने समर्थकों से इसे न लगाने के लिए कहें. अदालत ने कहा कि जब तक ये मंत्री-नेता आगे नहीं आएंगे, तब तक इस तरह के अवैध होर्डिंग हर जगह लगे रहेंगे. सीजे दत्ता ने कहा कि “जिन मंत्रियों और राजनीतिक नेताओं की तस्वीरें इन होर्डिंग्स में लगी हैं, उन्हें जनता के पास जाना चाहिए और उनसे ऐसा न करने के लिए कहना चाहिए. वे (जनता) उनकी बात सुनेंगे.
अदालत ने 12 अगस्त तक सरकार से मांगी एक रिपोर्ट
अदालत ने सुझाव दिया कि नगर निगमों और जिला परिषदों को उन होर्डिंग्स की सूची वार्ड अधिकारियों और पुलिस थानों के साथ साझा करनी चाहिए जिन्हें अनुमति दी गई है. सीजे दत्ता ने कहा कि “अगर इस सूची को वास्तविक समय में साझा किया जाता है तो इससे पुलिस को अवैध होर्डिंग्स के खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिलेगी. ये सभी प्रशासन के मामले हैं जिनके बारे में अधिकारियों को पता होना चाहिए.” हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से 12 अगस्त तक एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है, जिसमें कहा गया है कि सरकार अवैध होर्डिंग के मुद्दे से निपटने के लिए क्या कदम उठाएगी, इसकी जानकारी दे.