Maharashtra Bypoll 2023: कितने पढ़े-लिखे और कितनी संपत्तियों के मालिक हैं कसबा सीट से बीजेपी-कांग्रेस प्रत्याशी? एक क्लिक में जानें
Kasba Bypoll 2023: पुणे विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी-कांग्रेस ने अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. जानिए कसबा सीट से बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवार कितने पढ़े लिखे और कितनी संपत्तियों के मालिक हैं.
Pune Bypoll 2023: जैसे-जैसे पुणे विधानसभा उप चुनाव (Pune Bypoll) की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे चुनावी सरगर्मी भी बढ़ने लगी है. कसबा सीट (Kasba Seat) से बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं. कसबा और चिंचवड़ उपचुनाव (Chinchwad Bypoll) को लेकर पुणे समेत प्रदेश की राजनीति का माहौल गर्म हो चुका है. बीजेपी से हेमंत रसाने (Hemant Rasane) और कांग्रेस से रवींद्र धंगेकर (Ravindra Dhangekar) ने सोमवार (6 फरवरी) को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है. दोनों उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग को सौंपे हलफनामे में अपनी संपत्ति का ब्योरा भी बताया है. बता दें इन दोनों सीटों पर 26 फरवरी को वोट डाले जाएंगे.
बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवार के पास कितनी संपत्ति
हलफनामों के मुताबिक बीजेपी उम्मीदवार हेमंत रसाने (BJP Candidate Hemant Rasane) की कुल संपत्ति 10 करोड़ 51 लाख रुपये है. वहीं कांग्रेस उम्मीदवार रवींद्र धंगेकर की कुल संपत्ति 7 करोड़ 20 लाख रुपए है. दिलचस्प बात यह है कि दोनों उम्मीदवारों द्वारा जमा किए गए आयकर दस्तावेजों में कहा गया है कि कोरोना लहर के बाद उनकी आय में कमी आई है.
रासेन 12वीं पास जबकि धंगेकर 8वीं तक पढ़े-लिखे हैं
बीजेपी से हेमंत रसाने और कांग्रेस से उम्मीदवार रवींद्र धंगेकर पुणे के सेंट्रल इलाके के रहने वाले हैं. इस क्षेत्र में घर और जमीन की कीमतें अधिक होती हैं. दोनों कृषि और रियल एस्टेट में शामिल हैं. दिलचस्प बात यह है कि करोड़पति हेमंत रसाने 12वीं कक्षा तक पढ़े हैं, जबकि रवींद्र धंगेकर 8वीं कक्षा तक पढ़े-लिखे हैं. दोनों के पास ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और गैर-कृषि भूमि है.
रासेन और धंगेकर पुणे नगर निगम के तीन बार के नगरसेवक हैं
यहां बता दें, हेमंत रसाने और रवींद्र धंगेकर दोनों के पीछे कसबा निर्वाचन क्षेत्र में गणेश मंडलों की ताकत है. दोनों ने तीन बार पुणे नगर निगम के नगरसेवक के रूप में कार्य किया है. लिहाजा 26 फरवरी को होने वाले कसबा उपचुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. ब्राह्मण समुदाय के दबदबे वाली कसबा विधानसभा सीट के समीकरण पिछले कुछ सालों में बदल गए हैं. इसीलिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने ब्राह्मण समुदाय से बाहर के उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में टिकट देकर उतारा है.