Shivaji Park: शिवाजी पार्क में रैली करने का फैसला वापस लेने के बाद CM शिंदे ने दी ये प्रतिक्रिया, उद्धव गुट पर साधा निशाना
Eknath Shinde Statement: शिवाजी पार्क में रैली के लिए शिवसेना और उद्धव ठाकरे गुट ने आवेदन दिया था. कल शिवसेना ने इस फैसले को वापस ले लिया. अब सीएम एकनाथ शिंदे की प्रतिक्रिया सामने आई है.
Uddhav Thackeray Rally: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी शिवसेना अपनी दशहरा रैली मुंबई के शिवाजी पार्क मैदान में आयोजित कर सकती थी, लेकिन सरकार के मुखिया के रूप में उन्होंने कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज से इस योजना पर आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया. उनका यह बयान सत्तारूढ़ शिवसेना द्वारा दादर स्थित प्रतिष्ठित मैदान में दशहरा रैली की अनुमति मांगने के लिए मुंबई नगर निकाय को प्रस्तुत अपना आवेदन वापस लेने के कुछ घंटों बाद आया.
क्या बोले सीएम एकनाथ शिंदे?
इस प्रकार पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी गुट के साथ संभावित टकराव से बचने की कोशिश की गई जो उसी दिन अपने कार्यक्रम के लिए संबंधित विशाल मैदान का उपयोग करना चाहता है.
#हिंदुहृदयसम्राट बाळासाहेबांचा बुलंद आवाज ज्या शिवाजी पार्कवर शिवसैनिकांनी ऐकला, ज्या मैदानातून शिवसेनाप्रमुखांनी काँग्रेसला गाडण्याचा विचार मांडला, ज्या मैदानातून प्रखर हिंदुत्वाचा जागर त्यांनी केला, त्याच मैदानातून काँग्रेसला डोक्यावर घेतले जाणार असेल तर तो शिवसेनेचा दसरा…
— Eknath Shinde - एकनाथ शिंदे (@mieknathshinde) October 10, 2023
शिंदे ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, 'हम भी शिवाजी पार्क में रैली कर सकते थे, लेकिन सरकार के प्रमुख के रूप में, मैं कानून-व्यवस्था की स्थिति को खतरे में नहीं डालना चाहता.' उन्होंने कहा कि शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए शिवाजी पार्क की जरूरत नहीं है.
सीएम शिंदे ने सोशल मीडिया पर लिखा
शिंदे ने लिखा, 'बाला साहेब के विचार और हिंदुत्व इतने सच्चे हैं कि वे कहीं भी बोलें, उनकी प्रतिभा कम नहीं होती. उन विचारों को शिवाजी पार्क की जरूरत नहीं है. हम जहां भी जाएंगे उनके विचार लेकर जाएंगे.' जो लोग कहते हैं कि उनके पास विरासत है, उन्हें पहले आईने में देखना चाहिए कि सच क्या है. कौन कहां बोलता है, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि क्या कहा गया है. यदि तुम गाने के लिए अपना मुंह खोलोगे तो कौन सुनेगा? जनता ने देख लिया है कि उन्होंने बाला साहेब की सोच को कुचल दिया है.' हम बाला साहेब के विचारों को अपने हृदय में रोपित और पोषित करके आगे बढ़े हैं. हमारे पास विचारों की विरासत है. शिवाजी पार्क रोने की जगह नहीं है, जहां बाला साहेब ने अंगारे जलाए थे.'