Chhatrapati Sambhajinagar Government Hospitals: कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख नाना पटोले ने मंगलवार को कहा कि नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर में दो सरकारी अस्पतालों में मरीजों की हुई मौत के लिए राज्य सरकार के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की उदासीनता के कारण मरीजों की मौत हुई. अधिकारियों ने बताया कि 12 नवजात शिशु सहित कुल 31 मरीजों की नांदेड़ के डॉ शंकरराव चव्हाण शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में 30 सितंबर से दो अक्टूबर के बीच 48 घंटों में मौत हो गई.


अब तक कितने मरीजों की हुई मौत?
एक अधिकारी ने बताया कि एक अन्य घटना में कम से कम 18 मरीजों की मौत हुई, जिनमें समय से पहले जन्मे दो नवजात शिशु शामिल हैं. ये मौतें छत्रपति संभाजीनगर में गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में मंगलवार सुबह आठ बजे से पहले की 24 घंटे की अविध में हुई. पटोले ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पताल मौत का कुआं बन गये हैं. नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर के अस्पतालों में हुई मौतें सरकार द्वारा की गई हत्याएं हैं. सरकार के खिलाफ आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 302 के तहत एक मामला दर्ज किया जाना चाहिए.’’ उन्होंने आरोप लगाया कि दवाइयों की खरीद में 40 प्रतिशत कमीशन के कारण देर हुई.


नाना पटोले ने लगाये ये आरोप
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘शिंदे-फडणवीस-अजित पवार सरकार महाराष्ट्र के लिए एक कलंक है. ऐसा लगता है कि सरकार ने कुछ महीने पहले ठाणे के कलवा अस्पताल में हुई मौतों से कोई सबक नहीं सीखा है.’’ उन्होंने दावा किया कि दवाइयों की कीम के चलते नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर में मरीजों की मौत हुई. पटोले ने आरोप लगाया, ‘‘राज्य सरकार के पास अपनी प्रशंसा वाले कार्यक्रमों का आयोजन , विज्ञापन जारी करने और राजनीतिक नेताओं को खरीदने के लिए पैसा है, लेकिन आम लोगों के लिए दवाइयां खरीदने के लिए उनके पास पैसा नहीं है.’’ उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में चिकित्सक और कर्मचारी नहीं हैं तथा दवाइयों की भी कमी है.


उठाये ये सवाल
उन्होंने कहा, ‘‘इन अस्पतालों में उपकरण खराब हैं और बेकार पड़े हैं. यदि प्रमुख शहरों में स्वास्थ्य सेवाओं की यह स्थिति है, तो फिर कोई भी व्यक्ति ग्रामीण अस्पतालों की स्थिति की कल्पना कर सकता है.’’ पटोले ने आरोप लगाया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सौदों में 40 प्रतिशत कमीशन की मांग करते हुए समय पर दवाइयां नहीं खरीदीं, जिसके कारण 2022 में आवंटित 600 करोड़ रुपये की धनराशि उपयोग नहीं की जा सकी. उन्होंने अगस्त में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गृह क्षेत्र ठाणे के पास कलवा के एक अस्पताल में 18 मरीजों की मौत के संबंध में जांच की स्थिति पर सवाल उठाया. पटोले ने मांग की कि मुख्यमंत्री चिकित्सा शिक्षा मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त करें.


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