Prithviraj Chavan On Ghulam Nabi Azad: गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के इस्तीफे के बाद कांग्रेस की आंतरिक कलह एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है. पार्टी के नेतृत्व और भविष्य को लेकर फिर से सवाल खड़े किए जा रहे हैं. इसी विषय पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण (Prithviraj Chavan) से ‘भाषा’ ने पांच सवाल किए जिसका उन्होंने जवाब दिया.


इस सवाल, आप गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे को कैसे देखते हैं?, के जवाब में चव्हाण ने कहा कि "उनका इस्तीफा देना दुर्भाग्यपूर्ण है...जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होना है. जम्मू-कश्मीर में बहुत ही जूनियर और बाहर से आए व्यक्ति (तारिक हमीद कर्रा) को राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) का प्रमुख बनाया गया और आजाद साहब को सदस्य बनाया गया. इसका क्या कारण था? क्या इस पर चर्चा हुई ? अपमानित करने की कोई जरूरत नहीं थी. यह बताने की जरूरत नहीं थी कि इनकी कोई कद्र नहीं है. एक तरफ सोनिया जी ने गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा जैसे नेताओं को चुनाव अभियान में शामिल किया. कुछ न कुछ जिम्मेदारी भी दी थी. नीचे वाले लोगों, जिन्हें आजाद साहब ने ‘कोटरी’ कहा है, उन्होंने सोनिया जी की बात भी नहीं मानी."


गुलाम नबी आजाद के आरोपों पर चव्हाण ने ये कहा


पृथ्वीराज चव्हाण ने इस सवाल, आजाद ने अपने त्यागपत्र में जो मुद्दे ने उठाए हैं, उन पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?, के जवाब में आजाद ने कहा कि कुछ आरोप निजी है. चव्हाण ने जवाब दिया कि "आजाद साहब के त्यागपत्र में कुछ निजी आरोप हैं, उन पर कुछ नहीं कहूंगा. पहले के पत्र (अगस्त, 2020) पत्र में उठाए गए मुद्दे वाजिब हैं. हम आज भी उस पर कायम हैं. एक अहम मुद्दा यह है कि अगर राहुल गांधी ने कहा है कि वह और उनके परिवार का कोई अध्यक्ष नहीं होगा तो उन पर विश्वास क्यों नहीं किया जाता? अगर वह नहीं बनते हैं तो दूसरी वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी. चुनाव कराया जाए और फिर कोई अध्यक्ष बनेगा."


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समय रहते कदम उठाने की जरूरत- पृथ्वीराज चव्हाण


‘जी 23’ में चव्हाण के भी शामिल होने और पत्र में जो उठाए उठाए गए मुद्दों का समाधान किस हद तक हुआ है?, के सवाल पर उन्होंने कहा कि "हमने सोनिया जी मंथन की बात की थी. लेकिन उदयपुर में चिंतन शिविर की बजाय उसका नाम बदलकर नवसंकल्प शिविर कर दिया गया. चिंतन तो रोक दिया गया. चिंतन करने की इनकी अच्छा नहीं लगती. सोनिया जी ने इसे कैसे स्वीकार किया, मुझे नहीं पता. कुछ छोटे-छोटे कदम जरूर उठाए गए हैं. हमने चिंतन के लिए इसलिए कहा था कि हम दो लोकसभा चुनाव हारे, करीब 40 विधानसभा चुनाव हारे. इस पर कोई चिंतन शिविर हुआ क्या? अगर हम चिंतन नहीं करेंगे तो ऐसे ही चलता रहेगा. हमने पत्र में जो बात कही थी, उसकी एक-एक बात पर हम कायम हैं. गुलाम नबी आजाद ने जो लिखा, उसमें भी कई सारी बाते हैं. अब तो बातों का समय निकल गया, अब कदम उठाने (एक्शन) का समय है. कदम नहीं उठाया गया तो पार्टी को बचाना मुश्किल होगा."


कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर ये बोले चव्हाण


कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए राहुल गांधी को मनाने की कोशिशें हो रही हैं और कुछ अन्य नाम भी सामने आ रहे हैं, इस पर महाराष्ट्र के पूर्व सीएम ने कहा कि "क्या चुनाव से पहले नाम तय हो जाएगा तब चुनाव तारीख बताई जाएगी? आप चुनाव की तारीख तय करिये, जिसको पर्चा भरना है, वो सामने आएगा. उल्टी प्रक्रिया क्यों खड़ी कर रहे हैं? आप पहले से नाम सुनिश्चित करेंगे और फिर चुनाव कराएंगे, ऐसा कभी होता है क्या? चुनाव कराइए, जिसको लड़ना होगा, वह लड़ेगा. कोई कठपुतली अध्यक्ष बनाकर ‘बैकसीट ड्राइविंग’ होती रहेगी तो फिर पार्टी नहीं बच पाएगी."


पार्टी और उसके नेतृत्व से चव्हाण की उम्मीद के सवाल पर उन्होंने कहा कि "कांग्रेस के संविधान के मुताबिक सभी पदों पर चुनाव होना चाहिए. कांग्रेस कार्य समिति और अन्य पदों के चुनाव होते थे. सीताराम केसरी के समय यानी 24 साल पहले आखिरी बार संगठन के चुनाव हुए. अब सभी पदों पर अध्यक्ष द्वारा नामित लोग होते हैं. जो अध्यक्ष नामित करता है, उसके खिलाफ कोई बोलता नहीं है. निर्वाचित लोग अध्यक्ष को सही सलाह देते हैं. नामित लोग ऐसा नहीं करते. इसी वजह से पार्टी हारती है."


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