NDCCB Scam: कांग्रेस के एक और विधायक सुनील केदार की मुश्किलें बढ़ीं, 150 करोड़ के घोटाले में दोषी करार
Congress MLA Sunil Kedar: कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री सुनील केदार को बड़ा झटका लगा है. केदार को 150 करोड़ रुपये के नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक घोटाले में दोषी ठहराया गया है.
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MLA Sunil Kedar News: महाराष्ट्र में एक विशेष अदालत ने नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (एनडीसीसीबी) के 150 करोड़ रुपये के घोटाले में कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री सुनील केदार और चार अन्य को दोषी ठहराया. कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में तीन लोगों को बरी कर दिया. अदालत ने सुनील केदार (तत्कालीन बैंक अध्यक्ष), केतन शेठ (मुख्य बांड दलाल), अशोक चौधरी (तत्कालीन बैंक प्रबंधक) और तीन अन्य बांड एजेंट्स को दोषी ठहराया है. बाकी तीन को निर्दोष बताया गया है. इस बीच, अदालत फिलहाल सजा पर बहस कर रही है. 150 करोड़ रुपये के जिला केंद्रीय सहकारी बैंक घोटाला मामले में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में फैसला सुनाया जा रहा है.
2002 में हुआ था 150 करोड़ का घोटाला
ABP माझा के मुताबिक, नागपुर जिला बैंक घोटाला मामले का फैसला आज सुनाया जाएगा. इसमें कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सुनील केदार दोषी पाए गए हैं. 2002 में नागपुर डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में 150 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला उजागर हुआ था. तब केदार बैंक के चेयरमैन थे. वह इस मामले में मुख्य आरोपी भी हैं. बाद में निजी कंपनी के दिवालिया हो जाने से बैंक में किसानों का पैसा भी डूब गया. केदार और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
क्या है पूरा मामला?
2001-2002 में नागपुर डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक ने निजी कंपनियों होम ट्रेड लिमिटेड, इंद्रमणि मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, सेंचुरी डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड, सिंडिकेट मैनेजमेंट सर्विसेज और गिल्टेज मैनेजमेंट सर्विसेज की मदद से बैंक के फंड से सरकारी बांड (शेयर) खरीदे. हालांकि, बाद में बैंक को इन कंपनियों से खरीदी गई नकदी कभी नहीं मिली. चौंकाने वाली बात यह है कि बांड खरीदने वाली ये निजी कंपनियां दिवालिया हो गईं.
आरोप है कि इन कंपनियों ने कभी भी बैंक को सरकारी नकदी नहीं दी और न ही बैंक की रकम लौटाई. फिर आपराधिक मामला दर्ज किया गया और मामले की आगे की जांच सीआईडी को सौंप दी गई. जांच पूरी करने के बाद सीआईडी ने 22 नवंबर 2002 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया. तब से यह मामला विभिन्न कारणों से लंबित था.
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