Maharashtra Congress: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दे दी है. लेकिन इस नए बिल के मुताबिक महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण (Women Reservation Bill) मिलने में अभी कुछ साल और लगेंगे. इसलिए मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष विधायक वर्षा गायकवाड़ ने इस बिल को 'जुमला' बताते हुए इसकी आलोचना की है. महिला आरक्षण बिल के मुताबिक यह महिला आरक्षण जनगणना के बाद होने वाली परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही लागू किया जाएगा. विधायक वर्षा गायकवाड़ ने यह भी आरोप लगाया कि इस सरकार ने देश की सभी महिलाओं को धोखा दिया है. 


मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष ने क्या कहा?
वर्षा गायकवाड़ ने कहा, महिला आरक्षण बिल यूपीए काल में 2010 में राज्यसभा में पास हुआ था. अगर बीजेपी की मंशा इतनी ही नेक होती तो वे इस बिल को लोकसभा में पास करा देते. लेकिन ऐसा न करके बीजेपी श्रेय लेने के लिए नया बिल लेकर आई है. इस बिल में कुछ शर्तों का जिक्र किया गया है. इन शर्तों के चलते वर्षा गायकवाड़ ने यह भी कहा कि अगर बिल पास भी हो गया तो महिलाओं को इसका लाभ मिलने में कम से कम पांच से छह साल लग जाएंगे.


जनगणना नहीं हुई तो परिसीमन कैसे होगा?
इस बिल में परिसीमन की शर्त है. यह किसी निर्वाचन क्षेत्र या विधानसभा में परिसीमन या परिसीमन की प्रक्रिया है. उसके लिए जनगणना बहुत जरूरी है. यह सीमांकन या परिसीमन जनगणना में विभिन्न तत्वों के अनुपात के आधार पर किया जाता है. इस जनगणना की प्रक्रिया अभी शुरू भी नहीं हुई है. भारत जैसे बड़े देश में इस प्रक्रिया को लागू करने में कम से कम दो से तीन साल लग जाते हैं. उसके बाद आने वाले आंकड़ों के मुताबिक सीमांकन की कार्रवाई की जाएगी. इसमें भी दो से तीन साल और लगेंगे. इसलिए विधायक वर्षा गायकवाड़ ने मुद्दा उठाया कि 2029 से पहले महिलाओं को आरक्षण मिलना असंभव है. विधायक वर्षा गायकवाड ने कहा कि, सत्ता में आने के बाद से इस सरकार ने केवल झूठे प्रलोभन ही दिखाए हैं.


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