Aarey Forest Row: देश भर के 15 से अधिक शहरों में पर्यावरण समूहों ने आरे बचाओ आंदोलन के प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए आज देशव्यापी विरोध का आह्वान किया है. प्रदर्शन नागपुर, दिल्ली, जयपुर, वाराणसी, हैदराबाद और आगरा सहित अन्य शहरों और कस्बों में सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच होने की उम्मीद है. मुंबई में, प्रदर्शनकारी उसी समय आरे कॉलोनी के पिकनिक पॉइंट पर इकट्ठा होंगे, जहां वे 3 जुलाई से प्रोटेस्ट कर रहे हैं, जब उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मेट्रो -3 कारशेड को आरे के विवादास्पद स्थल पर वापस ले जाने के नई सरकार के फैसले की घोषणा की थी.


आदित्य ठाकरे ने कही थी ये बात


विरोध को पूर्व पर्यावरण मंत्री और युवा सेना प्रमुख आदित्य ठाकरे ने समर्थन दिया है, जिन्होंने खुद रविवार, 10 जून को विरोध स्थल का दौरा किया था. एकत्रित लोगों को संबोधित करते हुए, उन्होंने पिछली सरकार द्वारा लिए गए विभिन्न फैसलों पर स्थगन आदेश जारी करने के लिए एकनाथ शिंदे सरकार पर हमला किया. देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-शिवसेना शासन के दौरान, आरे के जंगलों में डिपो के निर्माण को लेकर शिवसेना अपने सहयोगी के साथ थी. आरे से कांजुरमार्ग तक मेट्रो कारशेड का स्थानांतरण 2019 में सत्ता में आने के बाद एमवीए द्वारा लिए गए पहले फैसलों में से एक था.


आदित्य ने कहा कि एमवीए सरकार ने कार डिपो को कांजुरमार्ग में स्थानांतरित कर दिया था और जमीन का इस्तेमाल चार मेट्रो रेलवे मार्गों के कंपोजिट डिपो के लिए किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अगर “चार लाइनों के डिपो एक ही स्थान पर होते तो इससे ₹8,500 से ₹10,000 करोड़ के बीच बचत होती.”


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सेव आरे के तहत जारी बयान में कही गई ये बात


'सेव आरे' के तहत आयोजित कार्यकर्ताओं द्वारा शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि “हम भारत भर के सभी पर्यावरण समूहों और नागरिकों से आह्वान करते हैं कि वे अपने शहरों, कस्बों और गांवों में इस रविवार – 24 जुलाई को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करें. इसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, बिहार, महाराष्ट्र, केरल आदि सहित 15 से अधिक स्थानों पर विरोध प्रदर्शन होंगे. बकौल हिन्दुस्तान टाइम्स, जारी बयान में कहा गया है कि भारत या दुनिया में कहीं भी पेड़ों की कटाई अब स्थानीय मुद्दा नहीं है बल्कि वैश्विक और राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है. हम पहले से ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से जूझ रहे हैं, भारत में कई राज्य वर्तमान में अचानक बाढ़, भूस्खलन और बढ़ती गर्मी का सामना कर रहे हैं. हम जानते हैं कि आरे के नष्ट होने से ऐसी आपदा की घटनाएं बढ़ेंगी. आरे हमारे वर्तमान और हमारे भविष्य की रक्षा करते हैं.


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