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Maharashtra Politics: 'भतीजे' ने 'चाचा' को दिया झटका! जानिए NCP में टूट के बाद अजित पवार के पास कितने विधायकों का है समर्थन

NCP Crisis: एनसीपी में अजित पवार के बगावत के बाद पार्टी दो गुटों में बंट गई है. पार्टी में टूट के कई महीने बाद अजित पवार ने चुनाव आयोग के सामने ये बताया है कि उसे कितने विधायकों का समर्थन प्राप्त है.

Maharashtra NCP Political Crisis: निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा कर रहे शरद पवार और अजित पवार के नेतृत्व वाले दोनों गुटों से उनका पक्ष जाना. एनसीपी के संस्थापक शरद पवार सुनवाई के दौरान उपस्थित थे. आयोग ने नौ अक्टूबर को कार्यवाही जारी रखने का फैसला किया. पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा करते हुए निर्वाचन आयोग का रुख करने वाले महाराष्ट्र के उपमुख्यमत्री अजित पवार ने कहा कि उन्हें महाराष्ट्र में एनसीपी के 53 में से 42 विधायकों, नौ में से छह विधानपरिषद सदस्यों, नागालैंड से सभी सात विधायकों और लोकसभा एवं राज्यसभा के एक-एक सदस्य का समर्थन प्राप्त है.

अजित पवार का बड़ा दावा
सुनवाई के दौरान शरद पवार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी निर्वाचन आयोग के समक्ष उपस्थित हुए. अजित पवार की ओर से वरिष्ठ वकील एनके कौल और मनिंदर सिंह मौजूद थे. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पवार के नेतृत्व वाले गुट ने एनसीपी नेता शरद पवार के खिलाफ विद्रोह कर दिया था और पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा करते हुए निर्वाचन आयोग का रुख किया था. एनसीपी का चुनाव चिह्न घड़ी है.

दी ये दलीलें
अजित पवार ने आयोग के समक्ष रखी गई अपनी दलील में कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में याचिकाकर्ता का कहना है कि उसे एनसीपी की संगठनात्मक इकाई के साथ-साथ विधायी इकाई में भी भारी समर्थन प्राप्त है और इसलिए आयोग द्वारा याचिकाकर्ता के नेतृत्व वाले गुट को असली पार्टी की मान्यता देकर वर्तमान याचिका को अनुमति दी जा सकती है.’’ अजित पवार गुट ने शुक्रवार को आयोग के समक्ष अपने दावे के समर्थन में दलीलें पेश कीं. अजित पवार गुट की दलीलें सोमवार को भी जारी रहने की संभावना है.

क्या बोले जितेंद्र आव्हाड?
एनसीपी के वरिष्ठ नेता जितेंद्र अव्हाड ने निर्वाचन आयोग में सुनवाई के दौरान अजित पवार गुट पर एनसीपी संस्थापक शरद पवार के प्रति 'असभ्य' रवैया दिखाने का आरोप लगाया. सुनवाई के दौरान शरद पवार के साथ उपस्थित अव्हाड ने कहा कि विरोधी गुट के वकीलों ने दावा किया कि शरद पवार ने एनसीपी के कामकाज में कभी भी लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन नहीं किया और हमेशा “तानाशाह की तरह व्यवहार किया”. अव्हाड ने कहा, 'यह दुखद है कि जिस व्यक्ति ने उन्हें पाला-पोसा और उनका विकास सुनिश्चित किया, उन्हें ऐसी चीजों का सामना करना पड़ रहा है.’’

सुनवाई के बाद पत्रकारों से बात करते हुए शरद पवार के वकील सिंघवी ने कहा कि अजित पवार के दावे काल्पनिक हैं. सुनवाई एक घंटे तक चली. सिंघवी ने कहा, सुनवाई के पहले भाग में, शरद पवार खेमे ने प्रारंभिक आपत्तियां उठाईं, जिसमें उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग एक प्रारंभिक मुद्दे के रूप में यह निर्धारित करने के लिए बाध्य है कि कोई विवाद है या नहीं.

उन्होंने आयोग के समक्ष रखी गईं अपनी दलीलों का हवाला देते हुए कहा, ''आपका अधिकार क्षेत्र इस पर निर्भर करता है कि कोई विवाद है या नहीं.'' वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, 'आयोग ने हमारी बात सुनी लेकिन कहा कि वह फिलहाल फैसला नहीं करेगा.”

उन्होंने कहा कि आयोग के समक्ष अजित पवार गुट की दलील 'काफी आश्चर्यजनक और मेरे मुताबिक कानून के अनुसार अस्तित्वहीन' थी. उन्होंने कहा, 'वे संगठनात्मक परीक्षण नहीं चाहते. वे जानते हैं कि एनसीपी के 99 प्रतिशत कार्यकर्ता मेरे बगल में खड़े व्यक्ति (शरद पवार) के साथ हैं.'

इसी साल जुलाई की शुरुआत में महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के लिए चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत करने से दो दिन पहले अजित पवार ने 30 जून को निर्वाचन आयोग से संपर्क किया था और पार्टी के नाम के साथ-साथ चुनाव चिह्न पर भी दावा किया था और बाद में 40 विधायकों के समर्थन के साथ खुद को पार्टी अध्यक्ष भी घोषित कर दिया था. हाल में, शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने निर्वाचन आयोग को बताया था कि पार्टी में कोई विवाद नहीं है, लेकिन कुछ लोग व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के लिए संगठन से अलग हो गए हैं.

ये भी पढ़ें: Maharashtra: 'जितने लोग नक्सलवाद से नहीं मरे उससे ज्यादा...', संजय राउत का CM शिंदे पर निशाना, लगाए ये आरोप

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