Ajit Pawar in Kolhapur: महाराष्ट्र (Maharashtra) के उप मुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) ने रविवार (10 सितंबर) को दावा किया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के 'लगभग सभी विधायकों' ने शरद पवार (Sharad Pawar) को पत्र लिखकर उस वक्त सरकार में शामिल होने का आग्रह किया था, जब उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की अगुवाई वाली सरकार जाने वाली थी. उनके इस बयान ने महाराष्ट्र के सियासत में हलचल पैदा कर दिया है. कोल्हापुर की ये सभा शरद पवार गुट की बैठक के बाद हुई है. इस सभा के जरिये प्रदेश के शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ के द्वारा अजित पवार गुट की तरफ से शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है.
उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस वाली महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार एकनाथ शिंदे के बगावत करने पर पिछले साल जून में गिर गई थी. यह बगावत पिछले साल 21 जून से 30 जून तक चली थी, जब शिंदे भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में हुई बगावत के दौरान एनसीपी के कई विधायक गुजरात के सूरत और वहां से असम ले जाये गए थे.
'मेरा बयान गलत हो तो ले लूंगा सन्यास'
उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने कोल्हापुर में एक रैली में कहा, 'मेरे बारे में गलत अफवाह फैलाया जा रहा है. जब उद्धव ठाकरे की सरकार गिरने को थी, तब एनसीपी के लगभग सभी विधायकों ने पार्टी प्रमुख (शरद पवार) को पत्र लिख कर उनसे (बीजेपी का समर्थन कर) सरकार में शामिल होने का आग्रह किया था.' उन्होंने कहा, 'यह (जो उन्होंने कहा है) गलत है तो मैं राजनीति से तुरंत सन्यास ले लूंगा. यदि मेरा दावा सही है तो झूठ फैलाने वालों को (राजनीति से) सन्यास लेना होगा.'
'केंद्र ने चीनी मिलों का टैक्स किया माफ'
कोल्हापुर में सभा को संबोधित करते हुए डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा, हम पर काम करने का बहुत अधिक दबाव है. उन्होंने कहा कि मैं किसी से मदद की भीख नहीं मांग रहा हूं, हम भी मराठों की संतान है. उन्होंने कहा कि कोल्हापुर महाराष्ट्र में प्रगतिशील आंदोलन का केंद्र बना हुआ है. ऐसे में अगर कोई कोल्हापुर में शांति भंग करने की कोशिश कर रहा है, तो हम सब सत्ता में रहते हुए इसका विरोध जरुर करेंगे. अजित पवार ने केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा चीनी मिलों का टैक्स माफ कर दिया गया है. इससे पहले कभी किसी ने टैक्स माफ नहीं किया था. उन्होंने दावा किया कि अगर ऐसा न होता तो सारी सरकारी चीनी मिलें नष्ट हो गई होती. यही वजह है कि किसानों को एफएआर मिल रहा. अगर सरकार ने चीनी मिलों के संकट से बाहर निकाल है तो कोई गलती नहीं की है.
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