Maharashtra-Karnataka Border Dispute: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने सोमवार को कहा कि कर्नाटक के साथ राज्य के सीमा विवाद (Border Dispute) के समन्वय के लिए नियुक्त मंत्रियों को विवादित क्षेत्रों का दौरा करना चाहिए या नहीं, इस पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) लेंगे. बता दें कि महाराष्ट्र ने चंद्रकांत पाटिल (Chandrakant Patil) और शंभूराज देसाई (Shambhuraj Desai) को सीमा विवाद के लिए समन्वय मंत्री नियुक्त किया है, दोनों नेता 6 दिसंबर को बेलगावी जाने वाले है जिसका कर्नाटक सरकार की ओर से विरोध हो रहा है.


सीएम शिंदे लेंगे दोनों नेताओं के दौरे पर अंतिम फैसला


देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बातचीत में कहा कि दोनों नेताओं, जिन्होंने पहले विवादित क्षेत्रों का दौरा करने की घोषणा की थी, उन्हें वहां के स्थानीय नेताओं ने बाबासाहेब अंबेडकर की पुण्यतिथि के अवसर पर आमंत्रित किया है, हमारी राय है कि विवादित क्षेत्रों में इस तरह का दौरा करते किसी भी कानूनी अड़चनों से बचा जाए, हालांकि फिर भी इस पर अंतिम निर्णय सीएम शिंदे ही लेंगे. बता दें कि 1960 में महाराष्ट्र की स्थापना के बाद से ही दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद है और यह विवाद तभी से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.


देश में किसी को कहीं जाने से रोका नहीं जा सकता


डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हम एक स्वतंत्र राष्ट्र हैं इसलिए किसी को भी कहीं जाने से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन चूंकि यहां सीमा विवाद की स्थिति है और मामला सुप्रीम कोर्ट में है इसलिए हम इस मामले में किसी भी कानूनी पेचीदगियों से बचना चाहते हैं लेकिन यदि वे चाहें तो उन्हें विवादित क्षेत्र का दौरा करने से कोई रोक नहीं सकता. आज इससे पहले कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा था कि वह महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस से कहेंगे कि वे अपने मंत्रियों को बेलगावी न भेजें क्योंकि इस स्थिति में उनके दौरे से यहां कानून-व्यवस्था गड़बड़ा सकती है.


क्या है दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद


गौरतलब है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच 1957 में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद सीमा विवाद शुरू हुआ. महाराष्ट्र तभी से बेलगावी पर अपना दावा करता है, महाराष्ट्र का कहना है कि यह तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था और यहां मराठी भाषी लोग भी अच्छी खासी संख्या में रहते हैं. महाराष्ट्र कर्नाटक 814 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा करता है.  जबकि कर्नाटक  1967 में महाजन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भाषाई आधार पर हुए सीमांकन को ही अंतिम बंटवारा मानता है. राज्य का अभिन्न अंग होने के नाते कर्नाटक ने बेलगावी में सुवर्ण विधान सौध का निर्माण किया है. यहां साल में एक बार विधानमंडल सत्र भी आयोजित किया जाता है.


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