Maharashtra Civic Elections: चुनाव आयोग ने कहा सितंबर तक चुनाव कराना संभव नहीं, अधूरी तैयारियों का दिया हवाला
Maharashtra: राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अधूरी तैयारियों के चलते सितंबर के बाद ही चुनाव कराए जा सकते हैं.
Maharashtra News: मुंबई, पुणे, ठाणे और नासिक सहित प्रमुख नगर निगमों में होने वाले चुनावों में सिंतबर के अंत तक देरी हो सकती है. राज्य चुनाव आयोग (एसआईसी) ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा प्रस्तुत करते हुए कहा कि चुनाव की तैयारियों में जून तक का समय लगेगा और इसके तुंरत बाद मॉनसून शुरू हो जाएगा. एसईसी ने कहा कि मॉनसून के महीनों के दौरान चुनाव नहीं हो सकते क्योंकि इस समय रसद संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
निकाय चुनावों पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट वर्तमान में राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों पर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें ओबीसी कोटा को चुनौती देने वाली एक याचिका और राज्य का नया कानून भी शामिल है, जिसने सरकार को एसईसी से स्थानीय निकायों के लिए परिसीमन और वार्ड गठन की शक्तियां लेने की अनुमति दी थी. इस कानून को मार्च में राज्य विधानसभा द्वारा पारित किया गया था जिसमें कहा गया था कि नागरिक निकायों के परिसीमन और वार्ड गठन को नए सिरे से करने की आवश्यकता है.
कहां-कहां होने हैं चुनाव
बता दें कि महाराष्ट्र में 20 नगर निगम, 25 जिला परिषद, 285 पंचायत समितियों, 210 नगर परिषद और 2000 ग्राम पंचायतों में चुनाव होना है. जिन नगर निगमों में चुनाव होंगे उनमें मुंबई, पुणे, ठाणे, नासिक, नवी मुंबई, नागपुर, कोल्हापुर और सोलापुर सहित प्रमुख नगर निकाय शामिल हैं. इस बीच राज्य सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए पूर्व मुख्य सचिव जयंत बनठिया की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है.
ओबीसी कोटे को लेकर चिंतित महाराष्ट्र सरकार
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (MSCBC) की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था, जिसने स्थानीय निकायों में 27 प्रतिशत OBC कोटा की सिफारिश की थी. कोर्ट ने कहा था कि अंतरिम रिपोर्ट आंकड़ों के अध्ययन और अनुसंधान के बिना तैयार की गई थी. इसके बाद, महाराष्ट्र सरकार ने ओबीसी के राजनीतिक पिछड़ेपन पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक अलग आयोग का गठन करने का फैसला किया. चुनावों से पहले महाराष्ट्र सरकार की कोशिश हर हाल में ओबीसी कोटे को बहाल करने की है. ऐसा न होने की स्थिति में महाराष्ट्र सरकार के हाथ से ओबीसी समुदाय का वोट छिटक सकता है.
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