Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार ने उद्धव ठाकरे के कार्यकाल के दौरान विकास कार्यों पर लगी रोक हटाई, दावा है कि...
Maharashtra: महाराष्ट्र सरकार ने महाविकास अघाड़ी के कार्यकाल के दौरान विकास कार्यों पर लगी रोक हटा दी है. राज्य में सत्ता हस्तांतरण के बाद शिंदे-फडणवीस सरकार ने MVA का कामकाज निलंबित कर दिया था.
Maharashtra Politics News: महाराष्ट्र सरकार ने महाविकास अघाड़ी के कार्यकाल के दौरान विकास कार्यों पर लगी रोक हटा दी है. राज्य में सत्ता हस्तांतरण के बाद शिंदे-फडणवीस सरकार ने महाविकास अघाड़ी का कामकाज निलंबित कर दिया था. कोर्ट ने इन सभी कार्यों पर लगी रोक हटाकर काम शुरू करने का आदेश दिया था. हालांकि इसके बाद भी बेंच में कोई हलचल नहीं हुई. संभाजी टोपे के माध्यम से अवमानना याचिकाएं दायर की गईं. इस बीच, सुनवाई 10 अगस्त को निर्धारित की गई थी. हालांकि, इस सुनवाई से पहले सरकार ने इन सभी कार्यों पर लगी रोक हटा दी है.
क्या आदेश दिये गए?
एबीपी माझा के अनुसार, शिंदे-फडणवीस शासन के अस्तित्व में आने के बाद राज्य की तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार ने वर्ष 2021-22 और 2022-23 के बजट में स्वीकृत विकास कार्यों, प्रशासनिक मंजूरी और तकनीकी मंजूरी के साथ-साथ प्रारंभ आदेश को तुरंत निलंबित कर दिया था. गौरतलब है कि यह रोक विभिन्न विकास कार्यों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों द्वारा सुझाए गए कार्यों पर भी दी गई है. इस रोक के कारण राज्य भर में सभी स्वीकृत विकास कार्य रुक गये थे. इसलिए, सरकार के इस फैसले के खिलाफ अंबाद तालुका, घनसावंगी तालुका, जालना तालुका के जन प्रतिनिधियों ने वकील संभाजी टोपे के माध्यम से उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ में रिट याचिकाएं दायर कीं.
इस बीच, औरंगाबाद खंडपीठ ने उक्त रिट याचिकाओं में 03 मार्च 2023 को परिणाम घोषित किया और राय व्यक्त की कि ये सभी कार्य बजट में अनुमोदित किए गए हैं और दोनों सदनों और माननीय राज्यपाल की मंजूरी से अनुमोदित कार्यों को निलंबित नहीं किया जा सकता है. साथ ही हाई कोर्ट ने शिंदे-फड़नवीस सरकार द्वारा दिए गए निलंबन आदेश को रद्द कर दिया और स्पष्ट आदेश दिया कि महाविकास अघाड़ी सरकार बजट में स्वीकृत कार्यों को फिर से शुरू करे और उस संबंध में निर्णय ले.
अवमानना याचिका के डर से सरकार द्वारा तत्काल आदेश
कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश के बाद सरकार से बार-बार उक्त आदेश का अनुपालन करने का अनुरोध किया गया. लेकिन कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद इस संबंध में आगे कोई कार्रवाई नहीं की गयी. इस नाराजगी के कारण जालना जिला परिषद की तत्कालीन अध्यक्ष पूजा कल्याण सपाटे, पूर्व उपाध्यक्ष सतीश टोपे और विश्वंभर भूटेकर एडवोकेट. संभाजी टोपे माननीय के माध्यम से हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई है.
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