Maharashtra News: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच एनसीपी-एसपी चीफ शरद पवार (Sharad Pawar) ने चुनावी राजनीति से संन्यास लेने के संकेत दे दिए हैं. अपने पोते युगेंद्र पवार के समर्थन में आयोजित रैली में शरद पवार ने कहा, ''मुझे अब विधायक और सांसद नहीं बनना. मुझे लोगों के सवाल हल करने हैं. अगर हमारे विचारों की सरकार आती है तो सरकार के पीछे हम मजबूती से खड़े रहेंगे.'' 27 साल की उम्र में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए शरद पवार करीब 60 वर्षों से राजनीति में एक्टिव हैं. इस दौरान वह विधायक, सांसद, महाराष्ट्र के सीएम, केंद्र में मंत्री समेत के कई अहम भूमिका निभा चुके हैं. आइए जानते हैं कैसा रहा है शरद पवार का राजनीतिक सफर...
कांग्रेस से राजनीति का सफर किया शुरू
शरद पवार ने सक्रिय रूप से राजनीति में 1958 में कदम रखा जब उन्होंने यूथ कांग्रेस ज्वाइन किया था. वह पुणे जिले में यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए. 1964 में उन्हें महाराष्ट्र यूथ कांग्रेस का सचिव बनाया गया.
विधायक से मंत्री तक का सफर
शरद पवार ने काफी कम उम्र से ही राजनीति में सफलता अर्जित करनी शुरू कर दी थी. 1967 में पहली बार केवल 27 साल की उम्र में बारामती से विधायक निर्वाचित हुए थे. इसके बाद उन्होंने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1967 से 1990 तक उन्होंने कांग्रेस के ही टिकट पर यहां से चुनाव जीता. शरद पवार को 70 के दशक की शुरुआत में पहली बार कैबिनेट बर्थ मिला जब वसंतराव नाइक की सरकार में उन्हें गृह मंत्री बनाया गया था.
सबसे कम उम्र के सीएम बने शरद पवार
शरद पवार 1978 में महाराष्ट्र के सबसे कम उम्र के सीएम बने. वह उस वक्त महज 38 वर्ष के थे. 1984 में वह बारामती से पहली बार लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए. हालांकि 1985 में वह प्रदेश की राजनीति में लौट आए. फिर विधानसभा का चुनाव लड़ा. चुनाव के बाद वह विपक्ष के नेता बने.
1988 में जब शंकरराव चव्हाण को राजीव गांधी ने केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया तो शरद पवार को सीएम पद की जिम्मेदारी दी गई. 1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 141 सीटें मिलीं और वह कुछ सीटों से बहुमत से दूर रह गई. हालांकि 12 निर्दलियों के समर्थन से इसने सरकार बनाई और शरद पवार को फिर महाराष्ट्र का सीएम बनाया गया.
राजीव गांधी की हत्या के बाद पी वी नरसिम्हा राव को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. नरसिम्हा राव के पीएम बनने के बाद उन्होंने शरद पवार को रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी दी. हालांकि मुंबई में हुए दंगे के बाद सुधाकर राव ने महाराष्ट्र के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और शरद पवार से कहा कि वह दोबारा सीएम पद की जिम्मेदारी संभालें. 6 मार्च 1993 को शरद पवार ने चौथी बार महाराष्ट्र के सीएम के रूप में शपथ ग्रहण किया.
एनसीपी का गठन
1999 में शरद पवार, पी ए संगमा और तारिक अनवर ने पार्टी के भीतर यह मांग की कि इटली में जन्मीं सोनिया गांधी की जगह किसी भारतीय व्यक्ति को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाए. इसको लेकर सीडब्ल्यूसी ने तीनों को छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया. इसके बाद शरद पवार ने जून 1999 में एनसीपी का गठन किया. बावजूद इसके उन्होंने 1999 में कांग्रेस के साथ विधानसभा का चुनाव लड़ा. कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार महाराष्ट्र में आई. हालांकि शरद पवार ने प्रदेश की राजनीति में वापसी नहीं की.
2004 में शरद पवार यूपीए का हिस्सा बने. पीएम मनमोहन सिंह के कार्यकाल में शरद पवार को कृषि मंत्री बनाया गया. 2009 में यूपीए के सत्ता दोबारा आने पर शरद पवार का पोर्टफोलियो बरकरार रहा.
पवार परिवार में विरासत की लड़ाई
2023 आते-आते शरद पवार के परिवार में विरासत की लड़ाई शुरू हो गई. भतीजे अजित पवार ने बगावत कर दी. वह कुछ विधायकों के साथ महायुति सरकार में शामिल हो गए. इतना ही नहीं शरद पवार की पार्टी का सिंबल और नाम भी उनसे छिन गया और भतीजे अजित पवार गुट को मिल गया. महाराष्ट्र में इस वक्त विधानसभा चुनाव होने हैं. चाचा और भतीजा दोनों एनसीपी की अलग-अलग गुट का नेतृत्व कर एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. शरद पवार के परिवार के अन्य सदस्य भी राजनीति में एक्टिव हैं. बेटी सुप्रिया सुले बारामती से लोकसभा सांसद हैं. पोता रोहित पवार विधायक है जबकि एक अन्य पोता युगेंद्र पवार भी इस बार चुनाव मैदान में है.
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