Maharashtra Assembly Election 2024: ''जो बीजेपी का साथ दे तो ऐसे लोगों का हुक्का-पानी बंद होना चाहिए.'' एक वीडियो में मौलाना खलीलुर रहमान सज्जाद नोमानी (Maulana Khalilur Rehman Sajjad Nomani) मुस्लिम समुदाय से यह अपील करते हुए दिख रहे हैं. वीडियो वायरल होने के बाद उन्होंने सफाई दी और कहा कि उनके बारे में झूठ फैलाया जा रहा है. सज्जाद नोमानी के खिलाफ बीजेपी ने निर्वाचन आयोग तक से शिकायत कर दी है. आखिर कौन हैं सज्जाद नोमानी जिनकी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चर्चा हो रही है और वोट जिहाद के भी आरोप लग रहे हैं?
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी (69) इस्लामिक विद्वान और शिक्षाविद हैं. अल-फरकान के संपादक और रहमान फाउंडेशन के संस्थापक हैं. वह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. वह जुल्फिकार अहमद नक्शबंदी के शिष्य भी हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जब धार्मिक अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारियों के संरक्षण के लिए अभियान शुरू किया तब इस अभियान का नेतृत्व सज्जाद नोमानी ने किया था. जिसके तहत उन्होंने पूरे देश में यात्रा की थी.
सज्जाद नोमानी ने सीएए का भी विरोध किया था और इसके विरोध में भारत बंद का आह्वान किया था. 2021 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था तो उन्होंने वीडियो मेसेज कर उसकी तारीफ की थी. सज्जाद नोमानी ने कह था, ''दूर बैठा एक भारतीय मुसलमान आपको सलाम करता है.''
राहुल गांधी की कर चुके हैं तारीफ
2024 लोकसभा चुनाव में वह उस वक्त चर्चा में आए थे जब उन्होंने राहुल गांधी को चिट्ठी लिखी थी और उनकी प्रशंसा की थी. सज्जाद नोमानी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी को समर्थन देने का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि वह 269 सीटों पर महाविकास अघाड़ी के प्रत्याशियों के लिए प्रचार करेंगे और 16 अन्य प्रत्य़ाशियों को सपोर्ट देंगे.
एमवीए प्रत्याशियों का नाम जारी कर समर्थन का किया था ऐलान
13 नवंबर को सोशल मीडिया पोस्ट करके उन्होंने प्रत्याशियों की सूची जारी की थी, जिसमें बताया था कि वह 169 मराठा और ओबीसी, 53 एससी-एसटी, 22 मुस्लिम और 40 अन्य समुदाय के प्रत्याशियों का समर्थन कर रहे हैं. सज्जाद नोमानी ने लिखा था, ''आज मैं संविधान की सुरक्षा के लिए एमवीए के 269 और 16 अन्य प्रत्याशियों को समर्थन देता हूं. मैं किसी धार्मिक संस्था के प्रवक्ता या सदस्य के लरूप में बयान नहीं दे रहा हूं.'' हालांकि विश्व हिंदू परिषद ने इस पर आपत्ति जताई थी. वीएचपी ने कहा कि किस धर्म के लोग किसे वोट देंगे, इसको लेकर निर्देश देना क्या कानून की दृष्टि से उचित है?
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