Maharashtra News: महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार राज्य में सोने और चांदी के आयात पर स्टांप शुल्क माफ करने पर विचार कर रही है. सरकार ने गुरुवार को स्टाम्प शुल्क का स्टडी करने के लिए एक समिति का गठन किया है. समिति की अध्यक्षता वित्त विभाग अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज सौनिक करेंगे और एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे. दरअसल महाराष्ट्र में हवाई रास्ते से आयात होने वाले सोने पर 0.1 प्रतिशत स्टांप शुल्क लगाता है. वहीं दूसरे राज्यों में स्टांप शुल्क नहीं लगता है.
सोने और चांदी के आयात पर स्टांप शुल्क नहीं लगने की वजह से महाराष्ट्र की तुलना में दूसरे राज्यों में आयात ज्यादा होता है. इसकी वजह से राज्य में सोने के आयात में गिरावट आई है. सरकार को सोने के आयात पर माल और सेवा कर (जीएसटी) में हजारों करोड़ का नुकसान हो रहा है. कहा जा रहा है कि सोने पर स्टांप शुल्क की छूट से राज्य के राजस्व में वृद्धि हो सकती है. सरकार ने जो समिति बनाई है, उसका काम अन्य राज्यों से तुलना करने, स्टाम्प शुल्क को माफ करने पर राज्य के राजस्व और उद्योग पर इसके प्रभाव का आकलन करना है. इसके साथ-साथ सरकार को एक रोड मैप भी देना है.
पिछले साल मई में सरकार को दिया गया था ज्ञापन
राज्य के वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सर्राफा और जौहरी उद्योग की मांग के बाद समिति का गठन किया गया है. सोने के आयात पर स्टांप शुल्क दिल्ली, चेन्नई और अन्य जगहों पर नहीं है. इसलिए व्यापारी इन जगहों से सोना आयात कर रहे हैं क्योंकि उन पर कर कम है. यही कारण है कि सरकार को इसके राजस्व का नुकसान हो रहा है. इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन ने पिछले साल मई में राज्य सरकार को दिए अपने ज्ञापन में कहा था कि सोने पर स्टांप शुल्क लगने के कारण आयात दूसरे राज्य में ट्रांसफर हो रहा है, इससे महाराष्ट्र को राजस्व का नुकसान हो रहा है.
भारत में हर साल हवाई रास्ते से लगभग 800 टन सोना होता है आयात
आपको बता दें कि भारत हर साल हवाई रास्ते से लगभग 800 टन सोना आयात करता है, जो लगभग 4 लाख करोड़ रुपये के बराबर है. इसे लेकर उन्होंने कहा कि चार लाख करोड़ रुपये के सोने के आयात पर 3 फीसदी जीएसटी लगता है, जो 12,000 करोड़ रुपये के बराबर है. इससे आईजीएसटी और सीजीएसटी का राजस्व 6,000 करोड़ रुपये आता है. ऐसे में महाराष्ट्र 0.10 प्रतिशत की स्टांप ड्यूटी लगाता है, जिसकी वजह से राज्य जीएसटी राजस्व 6000 करोड़ रुपये तक गंवा दे रहा है.
दिल्ली-चेन्नई की तुलना में मुंबई बहुत कम हुआ आयात
उन्होंने आगे बताया कि स्टांप शुल्क के जरिये सिर्फ 400 करोड़ रुपये के लिए पाने के लिए, राज्य को न केवल जीएसटी के मामले में, बल्कि कस्टम राजस्व और रोजगार के अवसरों के मामले में भी भारी नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार को सोने के आयात पर स्टांप शुल्क को हटाना चाहिए जिससे राज्य सरकार को जीएसटी के रूप में भारी राजस्व प्राप्त करने में मदद मिलेगी. गौरतलब है कि दिसंबर 2019 से फरवरी 2020 और जुलाई 2020 से सितंबर 2020 की तिमाहियों के बीच दिल्ली ने 36,281 करोड़ रुपये के सोने का आयात किया, जबकि चेन्नई ने 7,804 करोड़ रुपये का आयात किया. वहीं मुंबई ने केवल 1,342 करोड़ रुपये के सोने का आयात हुआ.
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