Nasik Farmers Mumbai March Ended: महाराष्ट्र के नासिक जिले से पैदल ही मुंबई की ओर बढ़ रहे प्रदर्शनकारी किसानों एवं आदिवासियों ने शनिवार को अपनी पदयात्रा खत्म करने की घोषणा की. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) के विधायक विनोद निकाले (Vinod Nikale) ने कहा कि किसानों की सभी मांगों पर विधानमंडल में विचार किया गया और जमीनी स्तर के अधिकारियों को सरकारी आदेशों के क्रियान्वयन का आदेश मिल गया है. लिहाजा, पदयात्रा समाप्त करने की घोषणा की गई है.
इन मांगों को लेकर शुरू हुई थी पैदल यात्रा
नासिक जिले के डिंडोरी से किसानों एवं आदिवासियों ने अपनी मांगों के समर्थन में पिछले रविवार को अपनी पदयात्रा शुरू की थी. उनकी मांगों में प्याज किसानों को 600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से राहत, किसानों को 12 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति और कृषि ऋण की माफी शामिल हैं. ये प्रदर्शनकारी ठाणे जिले के वासिंद शहर पहुंच चुके थे, जो मुंबई से मात्र 80 किलोमीटर दूर है. डिंडोरी मुंबई से 195 किलोमीटर दूर है. यानी वे आधे ज्यादा रास्ता तय कर चुके थे.
सरकार ने मानी किसानों की मांगें
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शनिवार को विधानसभा में कहा था कि प्याज किसानों को 350 रुपये प्रति क्विंटल वित्तीय राहत दी जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने उनसे आंदोलन वापस लेने की अपील की थी. निकोले ने कहा कि हमारी मांगें मान ली गई हैं. किसानों की सभी मांगों पर विधानमंडल में विचार किया गया तथा जिलाधिकारियों एवं तहसीलदारों को आदेश जारी किए गए हैं. हमारे पास अपने कार्यकर्ताओं से कॉल आ रहे हैं कि (सरकारी आदेश पर क्रियान्वयन का) काम शुरू हो गया है. इसलिए हमने मार्च वापस लेने का फैसला किया है.
यात्रा के दौरान एक किसान की मौत
उन्होंने कहा कि पदयात्रा में शामिल लोग घर लौटने लगे हैं और बाकी शनिवार शाम या रविवार तक चले जाएंगे. इस बीच, 58 वर्षीय एक प्रदर्शनकारी की शुक्रवार को मृत्यु हो गई. पुंडालिक अंबो जाधव नामक यह व्यक्ति नासिक में डिंडोरी के नजदीक एक गांव का निवासी था.एक अधिकारी ने शनिवार को कहा कि रात करीब आठ बजे खाना खाने के बाद जाधव को उल्टी आयी और उसे बेचैनी महसूस होने लगी. उसे शाहपुर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया.
किसानों से वार्ता के बाद बनीं बात
महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को अधिकतम मांगों को स्वीकार कर ली थी. मुख्यमंत्री शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मंत्रियों एवं शीर्ष सरकारी अधिकारियों ने इस मुद्दे के समाधान के लिए किसान प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की थी.
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