Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में सावरकर पर नहीं थम रही सियासत, सरकार ने किया ‘वीरभूमि परिक्रमा’ का एलान
Maharashtra: महाराष्ट्र सरकार ने विनायक दामोदर सावरकर की जयंती के उपलक्ष पर ‘वीरभूमि परिक्रमा’ का एलान किया है. वीरभूमि परिक्रमा के कार्यक्रम नासिक, रत्नागिरी, सांगली, पुणे और मुंबई में होंगे.
Politics On Vinayak Damodar Savarkar : महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार दिवंगत हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) की जयंती के उपलक्ष्य में 21 मई से 28 मई के बीच ‘वीरभूमि परिक्रमा’ का आयोजन करेगी. राज्य सरकार में मंत्री मंगल प्रभात लोढा (Mangal Prabhat Lodha) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. उल्लेखनीय है कि सत्तारूढ़ शिवसेना (Shiv Sena)- भारतीय जनता पार्टी (BJP) और विपक्षी कांग्रेस (Congress) में सावरकर को लेकर जुबानी जंग चल रही है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) द्वारा दिवंगत हिंदुत्व विचारक के जेल से बाहर आने के लिए तत्कालीन ब्रिटिश सरकार से मांगी गई ‘माफी’ को लेकर उनका माखौल उड़ाने के बाद इस वाकयुद्ध में इजाफा हुआ. सत्तारूढ़ शिवसेना और बीजेपी ने राहुल गांधी की टिप्पणी के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की कथित चुप्पी को आड़े हाथ लेते हुए पिछले सप्ताह राज्य में ‘सावरकर गौरव’ यात्रा निकालने की घोषणा की थी.
भगूर में होगी थीम पार्क और संग्रहालय की स्थापना
लोढा ने कहा कि सावरकर के जन्म स्थान नासिक के भगूर में थीम पार्क और संग्रहालय की स्थापना की जाएगी. सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को नासिक के भगूर गांव में हुआ था. मंत्री ने कहा, ‘‘वीरभूमि परिक्रमा के कार्यक्रम नासिक, रत्नागिरी, सांगली, पुणे और मुंबई जिले में आयोजित किए जाएंगे. इनमें साहित्य महोत्सव, सावरकर पर संगीत और परिचर्चा का कार्यक्रम शामिल होंगे. नासिक को इसलिए चुना गया क्योंकि वह सावरकर का जन्मस्थान है और वहीं पर क्रांतिकारी संगठन ‘अभिनव भारत’ की स्थापना की गई.’’ उन्होंने कहा कि रत्नागिरी को इसलिए चुना गया क्योंकि सावरकर ने वहां पतितपावन मंदिर की स्थापना कर हिंदू एकता की आधारशिला रखी. मंत्री ने कहा कि इस मंदिर में सभी जातियों के लोगों को प्रवेश की अनुमति थी और साथ ही उन्होंने वहां लड़कियों के लिए स्कूल की भी स्थापना की थी.
लोढा ने बताया कि सांगली को इस आयोजन में इसलिए शामिल किया गया क्योंकि सावरकर के बड़े भाई और स्वतंत्रता सेनानी बाबाराव सावरकर का निधन वहां हुआ था. मंत्री ने बताया, ‘‘वीरभूमि परिक्रमा के तहत पुणे को इसलिए चुना गया क्योंकि सावरकर ने वहां विदेशी सामान के बहिष्कार का आंदोलन शुरू किया था जबकि मुंबई को आयोजन में शामिल करने की वजह यह है कि उन्होंने इस शहर में अपने अंतिम दिन बिताए थे.’’