Kolhapur News: महाराष्ट्र (Maharashtra) के कोल्हापुर (Kolhapur) जिले के शिरोल तालुका में हेरवाड़ ग्राम पंचायत ने एक प्रस्ताव पारित किया. जिसमें एक विधवा की चूड़ियां तोड़ने, उसके मंगलसूत्र, पैर की अंगुली को हटाने और उसके बाद सदियों पुराने परंपरा के तहत उसका सिंदूर को पोंछने जैसे रीति-रिवाजों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.


 दूसरे गांव भी  करें पालन


समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने अब राज्य में ग्राम सभाओं को हेरवाड़ गांव के उदाहरण का पालन करने के लिए कहा है. रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण विकास और श्रम मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा है कि विज्ञान के इस युग में पुरानी और "अप्रचलित प्रथाओं" को जारी नहीं रखना चाहिए.


विधवा होने की रस्मों पर लगा प्रतिबंध


बुधवार को एक आधिकारिक बयान जारी किया गया, जिसके अनुसार राज्य के ग्रामीण विकास विभाग ने मंगलवार को इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया. मुशरिफ के हवाले से जारी बयान में कहा गया है, कोल्हापुर में हेरवाड़ ग्राम पंचायत ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित करके विधवा होने की रस्मों पर प्रतिबंध लगा दिया है. अब अन्य ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है.


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पुरानी कुरीतियां खत्म होनी चाहिए


उन्होंने कहा, आज देश बदल चुका है और ऐसे में पुरानी कुरीतियों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए. देश के अन्य राज्यों को भी हेरवाड़ ग्राम पंचायत की तरह प्रस्ताव पारित करना चाहिए. इसी के साथ सभी ग्राम पंचायतों को अपने पति को खोने वाली महिलाओं की गरिमा को बनाए रखने के लिए पहल करने के लिए भी कहा है.


विधवा महिलाओं के जीवन को सुधारने की पहल


बता दें कि 5 मई को पारित किए गए इस प्रस्ताव में विधवाओं को सामाजिक और धार्मिक समारोहों में शामिल होने से रोकने सहित सदियों पुराने रीति-रिवाजों को दूर करने की कोशिश की गई है. सर्कुलर में साफ कहा गया है कि, इस तरह की प्रतिगामी प्रथाएं मानवाधिकारों का उल्लंघन करती हैं और संविधान द्वारा महिलाओं को दी गई गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं और इस तरह के रीति-रिवाजों को मिटाना समय की जरूरत है.


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