Maharashtra News: बॉम्बे हाई कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार का जवाब, लखीमपुर-खीरी की घटना के विरोध में नहीं बुलाया था बंद
Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि उसने पिछले साल 11 अक्टूबर को प्रदेशव्यापी बंद के आह्वान को लेकर कोई कैबिनेट फैसला नहीं लिया था.
Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि उसने पिछले साल 11 अक्टूबर को प्रदेशव्यापी बंद के आह्वान को लेकर कोई कैबिनेट फैसला नहीं लिया था. यह बंद किसनों के आंदोलन के प्रति समर्थन जताने और लखीमपुर-खीरी में हुई घटना के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए बुलाया गया था.
मुंबई पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि जैसे ही बंद की घोषणा की गई, राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था बनी रहे और इसलिए उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
याचिका में हैं ये आरोप
महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार और मुंबई पुलिस ने चार वरिष्ठ नागरिकों द्वारा एक दिवसीय बंद को चुनौती देने वाली जनहित याचिका के जवाब में अपना हलफनामा दाखिल किया. याचिकाकर्ताओं में जूलियो रिबेरो भी शामिल हैं, जो मुंबई के पुलिस आयुक्त रह चुके हैं. याचिका के मुताबिक, किसान आंदोलन के प्रति समर्थन जताने और लखीमपुर-खीरी की घटना के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए बुलाए गए इस बंद से सरकारी खजाने को लगभग 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
Money Laundering Case: NCP नेता नवाब मलिक को नहीं मिल रही राहत, 18 अप्रैल तक बढ़ी न्यायिक हिरासत
सरकार ने दिया ये जवाब
एमवीए सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है, “छह अक्टूबर को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक के ब्योरे के मुताबिक, मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी जिले में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर केवल दुख जताया था और इसमें मारे गए किसानों के प्रति संवेदना व श्रद्धांजलि दी थी.”
वहीं, मुंबई पुलिस ने कहा, “राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए तत्पर, प्रतिबद्ध और सतर्क थी कि महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था बनी रहे और किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान या चोट न पहुंचे.”
पुलिस के अनुसार, 11 अक्टूबर के बंद के दौरान लगभग 60 मामले दर्ज किए गए थे. पुलिस उपायुक्त (संचालन) संजय लातकर द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है, “राज्य सरकार को कथित घटनाओं के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. लिहाजा, यह याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए.” मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की खंडपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 20 जून की तारीख तय की.
यह भी पढ़ें