Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार ने HC में कहा- कैदियों को फोन पर बात कराने के लिए 400 और कर्मचारियों की जरूरत
राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि महामारी संबंधी प्रतिबंधों के कारण उपरोक्त सुविधा को अपवाद के रूप में 2020 और 2021 के बीच मानवीय आधार पर शुरू किया गया था.
Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि राज्य की जेलों में कर्मचारियों की भारी कमी है और कैदियों को टेलीफोन और वीडियो कॉल की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बुनियादी ढांचा नहीं है. महाराष्ट्र के अतिरिक्त महानिदेशक (कारागार) सुनील रामानंद के माध्यम से हाईकोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा कि जेल के कैदियों को ऐसी सुविधाएं देना शुरू करने के लिए कम से कम 400 अतिरिक्त कर्मचारियों को नियुक्त करने की आवश्यकता होगी.
सरकार पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) द्वारा दायर एक जनहित याचिका का जवाब दे रही थी, जिसमें राज्य की सभी जेलों में वीडियो और कॉल करने की सुविधाओं को फिर से शुरू करने के लिए टेलीफोन और संचार के अन्य इलेक्ट्रॉनिक साधनों की तत्काल स्थापना का अनुरोध किया गया, ताकि कैदी अपने वकीलों और रिश्तेदारों से बात कर पाएं. याचिका के मुताबिक, कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान कैदियों को फोन और वीडियो कॉन्फ्रेंस जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं लेकिन बाद में इन्हें बंद कर दिया गया.
2020 में शुरू की गई थी व्यवस्था
राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि महामारी संबंधी प्रतिबंधों के कारण उपरोक्त सुविधा को अपवाद के रूप में 2020 और 2021 के बीच मानवीय आधार पर शुरू किया गया था. सरकार ने कहा कि हालांकि, अब मुलाकात या कैदियों, उनके वकीलों और अन्य आगंतुकों के बीच भेंट फिर से शुरू कर दी गई हैं तो उपरोक्त सुविधाएं वापस ले ली गई हैं. हलफनामे में कहा गया है कि राज्य में टेलीफोन और वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा जारी रखने के लिए आवश्यक मशीनरी या बुनियादी ढांचा नहीं है.
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एस एस शिंदे की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार के वकील, महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी को निर्देश दिया कि वह राज्य के एक या उससे अधिक जेलों का दौरा करें और कैदियों को फोन और वीडियो कॉन्फ्रेंस तक पहुंच जैसी सुविधाओं का मुआयना करें.
'जेलों का दौरा कर सौंपें रिपोर्ट'
पीठ ने कुंभकोणी को जेलों में ऐसी सुविधाओं की स्थिति पर तीन सप्ताह के भीतर एक स्वतंत्र रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी दिया. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा, "अधिकतर जेलों में 600 कैदियों की जगह है, लेकिन वहां 3,500 से अधिक कैदी बंद हैं. इसलिए सभी सुविधाओं को इन आंकड़ों के हिसाब से बढ़ाना चाहिए. कैदियों को उनके मुकदमों की स्थिति और वे कितनी सजा काट चुके हैं, यह पता होना चाहिए. जेलों का दौरा करने के बाद आपका नजरिया बदल जाएगा." अदालत ने कहा, "हम इस मामले में तीन सप्ताह के बाद सुनवाई करेंगे. इस बीच न्यायमूर्ति शिंद के सुझाव पर आप (महाधिवक्ता) जेल का दौरा करें और हमें एक स्वतंत्र रिपोर्ट सौंपे."
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