Housing For Transgenders: महाराष्ट्र सरकार के समाज कल्याण विभाग ने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक किफायती आवास योजना का प्रस्ताव दिया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अक्सर उनकी लिंग पहचान से जुड़े कलंक के कारण अच्छे इलाके में घर खरीदना या किराए पर लेना मुश्किल होता है, इसलिए यह योजना मददगार होगी. प्रस्तावित योजना के तहत, ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए नागपुर शहर में एक समर्पित आवास परिसर में 450 वर्ग फुट के लगभग 150 फ्लैटों की पेशकश की जाएगी.


इस तरह से योजना को लागू करने का है प्लान


डॉ प्रशांत नारनवारे, आयुक्त, समाज कल्याण ने कहा कि "नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (एनआईटी) के पास फ्लैट उपलब्ध हैं. यह हमें बेचने के लिए सहमत हो गया है. प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के फंड का उपयोग करके और राज्य सरकार से बाकी फंडिंग लेकर, हम इन फ्लैटों को ट्रांसजेंडर समुदाय को उपलब्ध कराएंगे. वे इन फ्लैटों के मालिक होंगे.” उन्होंने कहा कि अगर मंजूरी मिलती है तो यह राज्य में इस समुदाय के लिए पहली समर्पित आवास योजना होगी. नारनवारे ने कहा, "हम इस हाशिए पर रहने वाले समुदाय के लिए आश्रय गृहों या हॉस्टल की सुविधा के बारे में सुनते हैं, लेकिन हमारी योजना की परिकल्पना है कि वे फ्लैटों के मालिक होंगे, परिसर के मालिक होंगे और एक सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं."


उन्होंने कहा कि एनआईटी से एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ था और समाज कल्याण विभाग ने कहा कि वह तैयार भवन खरीदेगा. उन्होंने कहा, "इसे राज्य सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया है. वित्त विभाग की मंजूरी मिलने के बाद, फ्लैट एनआईटी से खरीदे जाएंगे और हम आवंटन शुरू कर देंगे."


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घर मिलने में इस समुदाय को होती है परेशानी


यह पूछे जाने पर कि क्या इस योजना को मुख्यधारा में लाने के बजाय समुदाय को 'अलग' करने के लिए आलोचना मिल सकती है, नारनवारे ने कहा कि अंतिम लक्ष्य हमेशा यह होगा कि समुदाय के सदस्य मुख्यधारा के समाज में आत्मसात हो जाएं, लेकिन आवास ढूंढना उनके लिए एक वास्तविक समस्या थी. उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रतिनिधियों के मुद्दों को समझने के लिए राज्य में नियमित सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि" वे जिस मुद्दे का सामना कर रहे हैं, वह यह है कि कोई भी उन्हें घर देने के लिए तैयार नहीं है, भले ही उनके पास इसे खरीदने या किराए पर लेने के लिए पैसे हों. इन सम्मेलनों में, हम एक आम शिकायत सुनते हैं कि वे एक अच्छे आवास में घर या फ्लैट खोजने के लिए संघर्ष करते हैं. उनमें से कुछ झुग्गी-झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं"


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