Mumbai News: महाराष्ट्र सरकार एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन करेगी जो इस बात की जांच करेगी कि बड़ी औद्योगिक परियोजनाओं ने पिछले तीन-चार महीनों में राज्य के अलावा अन्य स्थलों को कैसे चुना. राज्य के एक मंत्री ने बुधवार को यह घोषणा की. राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने भी कहा कि मामले में तथ्य सामने लाने के लिए जल्द ही एक श्वेत पत्र जारी किया जाएगा.


सरकार को लगातार करना पड़ रहा है आलोचनाओं का सामना


बता दें कि बड़े प्रोजेक्टों के राज्य से बाहर जाने को लेकर शिदे-बीजेपी की गठबंधन की सरकार को विपक्ष की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. वेदांता-फॉक्सकॉन का 1.54 लाख करोड़ रुपये का सेमीकंडक्टर प्लांट पहले पुणे में लगाया जाना प्रस्तावित था, लेकिन सितंबर में उसके गुजरात में स्थापित होने की घोषणा हो गई. अक्टूबर में एक और बड़ा प्रोजेक्ट महाराष्ट्र के हाथ से निकल गया, जब  यूरोपीय एविएशन फर्म एयरबस के कंसोर्टियम  और टाटा ग्रुप ने सैन्य विवान बनाने के लिए 22,000 रुपए की परियोजना को वड़ोदरा में ले जाने का फैसला किया.


सरकार कराएगी मामले की जांच


इस पूरे मामले पर सामंत ने कहा कि इसको लेकर राजनीति हो रही है. ये दिखाने की कोशिश की जा रही है कि शिंदे सरकार आने के बाद ये परियोजनाएं महाराष्ट्र से बाहर चली गईं, लेकिन राजनीति करने के अलावा हमें इस मामले की जांच करने की जरूरत है कि आखिर ये परियोजनाएं महाराष्ट्र से बाहर कैसे गईं. इसकी जांच के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी.


60 दिन के अंदर समिति सौंपेगी रिपोर्ट


सामंत ने कहा कि 60 दिन के भीतर कमेटी यह बताएगी कि ये परियोजनाएं महाराष्ट्र से बाहर कैसे गईं, इन परियोजनाओं को लेकर कब बैठकें हुईं और कब इनको लेकर एमओयू साइन किए गए. उन्होंने कहा कि इस जांच के माध्यम से (महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों में रोजगार पैदा करने वाली परियोजनाओं के बारे में) युवाओं के मन में पैदा होने वाले सभी संदेह दूर हो जाएंगे.


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